(www.arya-tv.com) जल निगम में कर्मचारियों को समय से वेतन मिलने की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। 15 हजार कार्यरत और रिटायर कर्मचारियों को फरवरी और मार्च का वेतन नहीं मिला है। इसको लेकर कर्मचारियों ने सीएम से लेकर विभागीय मंत्री तक से गुहार लगाई गई है। दलील है कि वेतन न मिलने से आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और बच्चों को स्कूल में प्रतिदिन प्रताड़ित किया जाता है। उनके नाम कटने तक की नौबत आ गई है।
जल निगम कर्मचारियों को ग्रामीण और शहरी दो भागों में बांटा गया है। अब शहरी क्षेत्र के लिए काम करने वाले 5 हजार कार्यरत और 10 हजार रिटायर कर्मचारियों को फरवरी और मार्च का वेतन अभी तक नहीं मिला है। अगर कुछ दिनों में पैसा नहीं आया तो अप्रैल भी उसी सूची में आ आएगा।
पिछड़ा वर्ग विकास परिषद उप्र जल निगम के उप महासचिव चेतन जायसवाल का कहना है कि रिटायर कर्मचारियों का हर महीने दवा का बड़ा खर्च होता है। वेतन न होने से उसकी भी किल्लत होने लगी है। मुख्यमंत्री पहले ही वेतन भुगतान का आदेश दे चुके हैं। इसके बावजूद भी लापरवाही बरती जा रही है। सीएम ने कहा था कि कर्मचारियों को हर महीने समय से वेतन मिलेगा। दरअसल, इससे पहले भी जल निगम में 7 महीने का वेतन नहीं मिला था। इसकी वजह से लोगों को परेशानी उठानी पड़ी थी।
चार दिन पहले जनवरी का वेतन आया
कर्मचारी चेतन का कहना है कि पिछले दिनों लगातार आंदोलन के बाद वेतन देने पर सहमति बनी थी। उस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद वेतन देने का निर्देश जारी किया था। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 10 हजार नियमित और 15 हजार रिटायर कर्मचारी हैं। लेकिन इसमें से करीब 8 हजार कर्मचारी ग्रामीण के हैं। उनको वेतन मिल रहा है। जबकि 1300 कर्मचारियों को नगर विकास विभाग में शिफ्ट कर दिया गया था। उनको भी वेतन मिल रहा है। लेकिन शहरी क्षेत्र में काम करने कर्मचारियों को समय से वेतन नहीं मिल पा रहा है।फिलहाल कर्मचारी अपनी सैलरी को लेकर परेशान है। कर्मचारियों का कहना है कि नियमित वेतन न मिलने से वह सब आर्थिक तंगी के कगार पर पहुंच चुके हैं।