सहारा कर्मचारियों को वर्षों की सेवाएं देने के बाद भी नहीं मिली पीएफ की धनराशि, वेलफेयर सोसायटी के नाम पर किया गुमराह

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कंपनी को अपने जीवन के कई वर्ष समर्पित करने वाले सहारा कर्मचारियों को आज अपने ही हक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। वर्षों की मेहनत और उम्मीदों के बाद भी उन्हें अपने भविष्य निधि (पीएफ) की धनराशि नहीं मिली। सहारा समूह ने कर्मचारियों को वेलफेयर सोसायटी के नाम पर गुमराह किया और यह विश्वास दिलाया कि उनका पीएफ नियमित रूप से जमा हो रहा है, जबकि वास्तविकता इससे बिलकुल विपरीत निकली।

अलीगंज निवासी सुनंदा डे, जो 2016 में सेवानिवृत्त हुईं, ने बताया कि कंपनी ने उन्हें कहा था कि उनका पीएफ कानपुर में जमा हो रहा है। बाद में जानकारी दी गई कि राशि सहारा सोशल वेलफेयर में जमा की जा रही है, लेकिन जब उन्होंने भविष्य निधि कार्यालय में जांच कराई तो पता चला कि कोई धनराशि जमा ही नहीं की गई थी। वह सवाल करती हैं कि जब पीएफ जमा ही नहीं हुआ, तो वह क्लेम कैसे करेंगी।

विकास नगर निवासी कपिल सिन्हा, जिन्होंने लगभग 30 वर्ष सहारा में सेवाएं दीं, बताते हैं कि कंपनी ने उनके बुढ़ापे का सहारा ही छीन लिया। उन्होंने कहा कि ईपीएफओ द्वारा सहारा की संपत्ति जब्त कर कर्मचारियों का बकाया दिलाने की खबर से थोड़ी आस जरूर जगी है, लेकिन जब खाते में जमा ही कुछ नहीं, तो राशि मिलेगी कैसे।

गुलिस्ता कॉलोनी के मनमोहन अग्रवाल, जो 2024 में रिटायर हुए, ने बताया कि यह किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि सैकड़ों कर्मचारियों की समस्या है। सहारा ने शुरुआती कुछ वर्षों तक पीएफ जमा किया, लेकिन पिछले करीब 14 वर्षों से किसी भी कर्मचारी का पीएफ जमा नहीं हो रहा है।

अब सवाल यह है कि जिन लोगों ने अपने बुढ़ापे का सहारा इसी कंपनी में खोजा था, आज वे न्याय के लिए किस दरवाजे पर जाएं। कर्मचारियों की उम्मीद अब ईपीएफओ की कार्रवाई पर टिकी है, जो सहारा की संपत्तियों से राशि वसूलकर कर्मचारियों को उनका हक दिलाने की दिशा में काम कर रही है।