अपने 27 लीटर खून से लिखवाया था सद्दाम हुसैन ने कुरान के सभी 114 अध्याय

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(www.arya-tv.com) इराक पर दो दशक तक शासन करने वाले तानाशाह सद्दाम हुसैन को आज ही के दिन 2006 में फांसी दे दी गई थी। सद्दाम की छवि एक ऐसे व्यक्ति की थी वह कुछ लोगों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं था, जबकि अपने ही देश के एक तबके और दुनिया के कई देशों के लिए लिए खूंखार तानाशाह था।

सद्दाम हुसैन का जन्म 28 अप्रैल 1937 को बगदाद के तिकरित स्थित एक गांव में हुआ था। सद्दाम ने बगदाद में कानून की पढ़ाई की। 1957 में सद्दाम ने महज 20 साल की उम्र में बाथ पार्टी की सदस्यता ली थी। ये पार्टी अरब राष्ट्रवाद का अभियान चला रही थी, जो आगे चलकर 1962 में इराक में हुए सैन्य विद्रोह की वजह बना, सद्दाम भी इस विद्रोह का हिस्सा था।

 सैन्य विद्रोह में सद्दाम ने प्रमुख भूमिका निभाई

1968 में इराक में हुए एक और सैन्य विद्रोह में सद्दाम ने प्रमुख भूमिका निभाई थी, जिससे उसकी पार्टी सत्ता में आ गई। इस विद्रोह से महज 31 साल की उम्र में सद्दाम ने जनरल अहमद हसन अल-बक्र के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा जमा लिया। इसके बाद सद्दाम तेजी से आगे बढ़ा और 1979 में वह इराक का पांचवां राष्ट्रपति बन गया और जुलाई 1979 से अप्रैल 2003 तक इराक की सत्ता पर काबिज रहा।

शियाओं व कुर्दों के खिलाफ अभियान चलाया

सद्दाम ने सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद सबसे पहले शियाओं व कुर्दों के खिलाफ अभियान चलाया। वह अमेरिका का भी विरोध करता था। माना जाता है कि सद्दाम की सिक्योरिटी फोर्सेज ने इराक में करीब ढाई लाख लोगों को मौत के घाट उतारा था। इतना ही नहीं सद्दाम द्वारा ईरान और कुवैत पर हमलों की वजह से भी हजारों लोग मारे गए।

1982 में सद्दाम पर जानलेवा हमले की कोशिश हुई। इस हमले के बाद सद्दाम ने दुजैल में 148 शियाओं का कत्ल करवा दिया था। एक इराकी अदालत ने इसी नरसंहार के लिए 05 नवंबर 2006 को सद्दाम को दोषी ठहराया था और इसके बाद 30 दिसंबर 2006 में सद्दाम को फांसी पर चढ़ा दिया गया।

सद्दाम ने अपने 27 लीटर खून से लिखवाई थी कुरान
सद्दाम हुसैन ने 1990 के दशक में अपने खून से कुरान लिखवाई थी। द गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सद्दाम ने अल्लाह के लिए प्रति कृतज्ञता जताने के लिए दो सालों के दौरान अपना 27 लीटर खून देकर उसे स्याही के रूप में प्रयोग करवा कर कुरान के सभी 114 अध्यायों को 605 पन्नों में लिखवाया था। इन सभी 605 पन्नों को लोग देख सकें, इसके लिए इन्हें शीशे के केस में सजा कर रखा गया था।सद्दाम हुसैन की जीवनी लिखने वाले कॉन कफलिन ने भी ब्लड कुरान के बारे में लिखा है। ‘ब्लड कुरान’ के नाम से चर्चित इस कुरान को बगदाद की एक मस्जिद में रखा गया था। 2006 में सद्दाम को फांसी दिए जाने के बाद से इस कुरान के सार्वजनिक प्रदर्शन पर रोक लग गई थी।

‘सुपर ट्वेल्व’ सैनिकों के सद्दाम के साथ अच्छे संबंध

अमेरिका और ब्रिटेन ने इराक पर सामूहिक विनाश का हथियार रखने का आरोप लगाया था लेकिन इराक ने इससे इंकार किया था। इसके बाद 2003 में अमेरिका और ब्रिटेन की संयुक्त सेना ने इराक पर हमला कर सद्दाम को गिरफ्तार कर लिया था और इसी के साथ इराक में सद्दाम के शासन का अंत हो गया। सद्दाम को 13 दिसंबर 2003 को तिकरित के नजदीक अदटॉर से पकड़ा गया था।

जब सद्दाम हुसैन के केस की अदालती कार्रवाई चल रही थी, तो उसकी सुरक्षा में बारह अमेरिकी सैनिक तैनात रहते थे, जिन्हें ‘सुपर ट्वेल्व’ कहा जाता था। इन ‘सुपर ट्वेल्व’ सैनिकों के सद्दाम के साथ अच्छे संबंध बन गए थे। इनमें से एक सैनिक ने बाद में सद्दाम पर एक किताब लिखी और बताया कि जब उन 12 सैनिकों ने सद्दाम को फांसी देने वालों के हवाले किया तो उन सभी अमेरिकी सैनिकों की आंखों में आंसू थे।