अमेरिका बना रहा दबाव, लेकिन अपने पक्के दोस्त रूस को नहीं छोड़ेगा भारत

# ## International

(www.arya-tv.com) रूस-यूक्रेन जंग में जहां ज्यादातर देश रूस के विरोध में खड़े हैं, वहीं भारत तटस्थ होकर भी रूस के पाले में नजर आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और आम सभा में रूस के खिलाफ प्रस्तावों के दौरान भारत अनुपस्थित रहा। रूस की आलोचना तक नहीं की। यही नहीं, रूस से किफायती दर पर क्रूड ऑयल खरीदने का करार भी कर लिया। इससे अमेरिका को झटका लगा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीन वजहें हैं, जिसके चलते भारत अमेरिका पर रूस को तरजीह दे रहा है।

पहली वजह ये है कि भारत की भौगोलिक और सामरिक स्थिति में उसके लिए रूस से नजदीकी बनाए रखना हित में है। दूसरी वजह ये कि भारत रूस का बड़ा हथियार खरीदार है। तीसरी वजह ये कि अमेरिका के साथ भारत की घनिष्ठता रूस जैसी नहीं हो सकी है। एनर्जी क्षेत्र में भारत और रूस पहले से ही बड़े सहयोगी हैं।

चीन पर नकेल में रूस ज्यादा मददगार

अमेरिका भारत के इस रुख से खीझा हुआ नजर आ रहा है। हाल ही में वॉशिंगटन में पत्रकारों को से बातचीत में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि रूस की आलोचना के मामले में भारत का रुख बहुत ठोस नहीं रहा है।

अमेरिका भारत पर अपने पाले में आने का दबाव बना रहा है, लेकिन भारत के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा।

भारत के रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाले मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनेलिसिस से जुड़ी एसोसिएट फेलो स्वास्ति राव मानती हैं कि भारत के लिए रूस को छोड़ना आसान नहीं हैं।

इसकी वजह समझाते हुए वो कहती हैं, “भारत के दो हिस्से हैं, एक ऊपरी भाग जो लैंडलॉक्ड है यानी चारों तरफ भूमि से घिरा है और दूसरा तटीय भारत और भारतीय भूभाग का निचला हिस्सा है और तीन तरफ समंदर से घिरा है। भारत के लैंडलॉक्ड हिस्से की सुरक्षा के लिए रूस के साथ सक्रिय भागीदारी जरूरी है। वहीं जो तटीय इलाका है वहां चीन के प्रभाव को कम करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में क्वाड से सहयोग जरूरी है।”