आयकर विभाग के अफसरों को जवाब न दे सकीं पूर्व आरटीओ जानिए क्यों

Kanpur Zone

कानपुर (www.arya-tv,com) क्षेत्रीय संभागीय कार्यालय (आरटीओ), वाणिज्य कर विभाग और निजी बस संचालकों के आपसी तालमेल का तिलिस्म तो आयकर विभाग ने चार वर्ष पहले ही खोल कर रख दिया था लेकिन इसके बाद भी निजी बस संचालक खुलेआम माल बसों में ढोकर कमाई कर रहे हैं। न तो आरटीओ के अधिकारी कार्रवाई कर रहे हैं न ही वाणिज्य कर विभाग नकेल कस रहा है। यह स्थिति तब है जब आयकर अधिकारियों को आरटीओ प्रवर्तन सुनीता वर्मा के घर से छापे के दौरान निजी बस संचालकों के नामों की सूची मिली थी। इसके संबंध में सुनीता वर्मा अधिकारियों को जवाब नहीं दे सकी थीं। निजी बस संचालकों की इस सूची ने साफ कर दिया था कि आयकर अधिकारियों ने क्यों शताब्दी बस सर्विस के संचालक चंद्र प्रकाश गंगवानी और सुनीता वर्मा के यहां एक ही दिन छापा मारा था।

अप्रैल 2017 में आयकर विभाग को वाणिज्य कर विभाग के एडीशनल कमिश्नर केशव लाल, सुनीता वर्मा और चंद्रप्रकाश गंगवानी पर एक ही दिन छापा मारना था। छापे के दिन केशव लाल का लखनऊ में कोई कार्यक्रम था, जिसकी वजह से छापे के पहले दिन उनके यहां कार्रवाई नहीं हो सकी थी, लेकिन सुनीता वर्मा और चंद्रप्रकाश गंगवानी के यहां छापे मारे गए थे। सुनीता वर्मा के घर में निजी बस संचालकों और कुछ अन्य लोगों की एक सूची भी मिली थी। इसमें नाम के आगे रकम लिखी हुई थी। आयकर अधिकारियों के मुताबिक, इस तरह की सूची वह हर माह बनाती थीं। पूछताछ में उन्होंने इस सूची को लेकर सवालों के जवाब नहीं दिए।

निजी बस संचालक परमिट के आधार पर बसें चलाते हैं। नियमों के उल्लंघन पर आरटीओ को उनके खिलाफ कार्रवाई के अधिकार हैं, लेकिन फजलगंज से विजय नगर क्षेत्र के बीच बसें गलत तरीके से माल लाद कर ले जाती हैं और जबरदस्त कमाई करती हैं। इसे चालू रखने के लिए ही घालमेल किया जाता है। इस पर कार्रवाई करने के अधिकार वाणिज्य कर विभाग को भी हैं। इसलिए ही आयकर विभाग को तीनों पर एक साथ कार्रवाई करनी थी। हालांकि, केशव लाल के यहां अगले दिन छापा पड़ा था। यह छापा कई दिन तक चला था और उनके यहां 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी मिली थी।