(www.arya-tv.com)किसी व्यक्ति के शरीर में सार्स-कोव-2 वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडी पैदा हुए हैं या नहीं, इसकी जांच महज 20 मिनट में हो पाएगी, वो भी घर बैठे। जी हां, ब्रिटेन में ब्लड शुगर की तरह ही खून की एक बूंद से कोरोना की जांच करने वाली ‘एबीसी-19’ सरकारी परीक्षण की कसौटी पर खरी उतरी है। सरकार अब करोड़ों लोगों को मुफ्त में यह किट बांटने की तैयारी कर रही है, ताकि कोरोना जांच की दर बढ़ाकर संक्रमितों और उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान की जा सके।
‘द टेलीग्राफ’ के मुताबिक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एबिंग्डन हेल्थ की ओर से तैयार ‘एबीसी-19’ किट घर पर ही जांच की सुविधा देगी। इससे एंटीबॉडी जांच की रिपोर्ट झट हासिल होने के साथ ही प्रयोगशालाओं पर दबाव घटेगा। सरकारी आजमाइश में किट कोरोना-रोधी एंटीबॉडी की 98.6 फीसदी सटीक पहचान करने में कामयाब रही। एंटीबॉडी जांच परियोजना के प्रमुख सर जॉन बेल ने कहा, ‘एबीसी-19’ वाकई शानदार है। इसने साबित किया है कि ब्लड शुगर की तरह ही कोरोना जांच भी घर बैठे आसानी से की जा सकती है। मरीज में सर्दी-जुकाम, बुखार जैसे लक्षण उभरने पर उसे जांच केंद्र भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जांच किट खरीद वह पता लगा सकेगा कि सार्स-कोव-2 वायरस के संपर्क में तो नहीं आया है।
क्यूआर कोड इस्तेमाल का तरीका बताएगा-
-‘एबीसी-19’ किट हासिल करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। सरकार किट को क्यूआर कोड से लैस एक डिब्बे में सहेजकर भेजेगी। यूजर कोड को अपने फोन से स्कैन करेंगे तो उसके इस्तेमाल की विधि दर्शाने वाले वीडियो दिखाई देगा। सबसे पहले यह जांच किट कोरोना के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों को दी जाएगी।
नसों से खून निकालने की जरूरत नहीं-
-ब्रिटेन में फिलहाल एंटीबॉडी जांच के लिए रॉशे और एबॉट की बनाई जांच किट का इस्तेमाल हो रहा। इनमें व्यक्ति की नसों से खून का नमूना लेने की जरूरत पड़ती है। लिहाजा ये किट सिर्फ अस्पतालों, जांच केंद्रों और लैब में प्रयोग के लिए उपयुक्त हैं। ऑक्सफोर्ड की किट से उंगली पर एक सुई चुभोने मात्र से नमूने मिल जाएंगे। नमूनों को लैब भी नहीं भेजना होगा।
एंटीबॉडी की मौजूदगी आंकने का मकसद-
-स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मानव शरीर पर जब किसी विषाणु का हमला होता है, तब प्रतिरोधक तंत्र उससे निपटने के लिए एंटीबॉडी पैदा करता है। खून में एंटीबॉडी के अंश मिलना इस बात का संकेत होता है कि संबंधित व्यक्ति कभी न कभी वायरस की जद में आया होगा।
जल्दी जांच पर गलत रिपोर्ट मुमकिन-
-कोरोना से संक्रमित मरीजों की पहचान के लिए किए जाने वाले एंटीबॉडी टेस्ट के नतीजे व्यक्ति के वायरस की जद में आने के तीन से चार हफ्ते बाद ही सही आते हैं। ब्रिटेन स्थित कॉक्रेन इंस्टीट्यूट और बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बीते महीने 16 हजार संक्रमितों की एंटीबॉडी जांच के नतीजों पर आधारित 54 शोधपत्रों के विश्लेषण के बाद यह दावा किया था।
सही समय पर टेस्ट जरूरी क्यों-
-शोधकर्ताओं ने पाया था कि शरीर में एंटीबॉडी तय समय के बाद बनते हैं। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति पर वायरस के वार के एक से दो हफ्ते बाद ही एंटीबॉडी जांच की जाए तो सही रिपोर्ट आने की गुंजाइश महज 30 फीसदी होती है। वहीं, लक्षण उभरने से तीन से चार हफ्ते के बाद टेस्ट किया जाए तो संक्रमितों के शरीर में बने एंटीबॉडी की 70 फीसदी सटीक जानकारी मिलती है।