वाराणसी (www.arya-tv.com) धर्म व संस्कृति की नगरी काशी में पर्यटन को विस्तार देने के लिए गंगा पार रेती में रण महोत्सव मनाया जाएगा। इसका प्रस्ताव शासन को भेजने के साथ तीन विभागों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। इसमें वाराणसी विकास प्राधिकरण भूमि प्रबंधन करेगा। पर्यटन विभाग के जिम्मे टेंट सिटी समेत अन्य इंतजाम होंगे तो संस्कृति विभाग की ओर से खुले में विविध सांस्कृतिक आयोजन कराए जाएंगे। वाराणसी विकास प्राधिकरण की ओर से भूमि प्रबंधन के तहत सर्वे कार्य पूर्ण कर लिया गया है। कछुआ सेंचुरी खत्म होने के बाद पूरे रकबे को रण महोत्सव के लिए चिह्नित किया गया है। इसमें करीब 450 हेक्टेअर भूमि पर महोत्सव आयोजन होगा।
काशी के धार्मिक आयोजनों, मेला व पर्व उत्सवों के साथ ही रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला को केंद्र में रखते हुए रण महोत्सव की परिकल्पना की गई है। यह शारदीय नवरात्र से वासंतिक नवरात्र यानी सितंबर-अक्टूबर से मार्च-अप्रैल तक आयोजित होगा। इस अवधि में ही दुर्गोत्सव, दशहरा, रामनगर की रामलीला, भरत मिलाप, दीपावली, देवदीपावली, मकर संक्रांति, प्रयागराज कुंभ समेत स्नान पर्व आदि होते हैं। महोत्सव का केंद्र राजघाट पुल से लेकर रामनगर किला के बीच करीब सात किलोमीटर तक फैला होगा।
टेंट सिटी से बनारस पहले ही परिचित हो चुका है। प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान ऐढ़े गांव में 43 एकड़ में टेंट सिटी बसाई गई थी। ऐसे ही गंगा की रेती में टेंट सिटी बसाई जाएगी। यह अस्थाई होगी लेकिन सुविधाएं फाइव स्टार होटल जैसी होंगी। देवदीपावली के दौरान पीएम के काशी आगमन पर इस बार जब रेती दीपों से जगमग हुई तो इसे सजाने का खाका खींचा जाने लगा। रण महोत्सव क्षेत्र में घोड़े व ऊंट की सवारी का इंतजाम होगा तो रात के वक्त खुली हवा में बनारस के कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यहां बनारसी खानपान के साथ ही बुनकारी एवं हस्तशिल्प, पूर्वांचल की ब्लैक पाटरी, वुड कार्विंग समेत उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। रेती व आबादी से के बीच बंधा बनाया जाएगा। इसके लिए वीडीए ने पहले ही खाका खींचा है। करीब 14 किमी लंबा बंधा बनाकर उस पर सड़क बनाया जाएगा जो रण महोत्सव को सड़क मार्ग से जोड़ेगा। इसके अलावा गंगा में संचालित नावों से भी प्राचीन काशी में पर्यटक सैर कर सकेंगे।
