क्यों लकड़ी के लिए भी मशहूर हो रहा है रामपुर

Bareilly Zone UP

(www.arya-tv.com) रामपुर। चाकू का जिक्र आते ही जेहन में रामपुर का नाम आ ही जाता है लेकिन, अब शहर को एक नई पहचान मिल रही है। यह नई पहचान लकड़ी कारोबार के रूप में है। इस समय रामपुर उत्तर प्रदेश में लकड़ी की सबसे बड़ी मंडी है।

इससे यहां के करीब दस हजार लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। पहले यहां बड़ी-बड़ी फैक्टियां थीं, जो धीरे-धीरे विभिन्न कारणों से बंद होती चली गईं। रजा टेक्सटाइल्स, रजा शुगर मिल, मक्का मिल, दाल मिल, खेतान फर्टिलाइजर, साइकिल बनाने की हंसा फैक्ट्री, शिवा पेपर मिल और राइस मिलों के बंद होने से हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए।

लकड़ी कारोबारी फैसल लाला रामपुर में लकड़ी कारोबार बढऩे की वजह बताते हैं कि रामपुर तराई क्षेत्र है। पहले यहां गन्ना बहुत पैदा होता था। सरकारी चीनी मिलें बंद हो गईं और निजी मिलें मनमानी करने लगीं।

किसानों को गन्ने का भुगतान समय पर नहीं मिलता था। ऐसे में किसानों ने गन्ने की खेती बंद करखेतों में पापुलर और यूकेलिप्टिस के पौधे लगाने शुरू कर दिए। इसके बाद से लकड़ी कारोबार शुरू हो गया। 2009 से 2012 के बीच उप्र सरकार ने आरा मशीनों, विनियर और प्लाइवुड के लाइसेंस जारी किए तो रामपुर के लोगों ने सबसे ज्यादा लिए। इसके बाद रामपुर में लकड़ी के कारोबार ने तेजी पकड़ी।

आज रामपुर उत्तर प्रदेश की नंबर वन लकड़ी मंडी है। एक प्लाइवुड फैक्ट्री में 200 से 250, विनियर मशीन पर 50 से 60 और आरामशीन पर आठ से 10 लोग काम करते हैं। इनके अलावा लकड़ी खरीदने और बेचने में भी सैकड़ों लोग लगे हैं। उनकी भी विनियर मशीन है और करीब दो करोड़ का सालाना कारोबार है।

नैनीताल रोड पर बिलासपुर गेट के पास और दिल्ली लखनऊ हाईवे पर पनवडिय़ा के आसपास लकड़ी की मंडी लगती हैं। यहां लोग लकड़ी बेचते और खरीदते हैं। दूसरे जिलों से भी यहां लकड़ी से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली और ट्रक आते हैं।