रामायण: संधि करने आए भाई विभीषण को कुंभकर्ण ने नि:शब्द कर दिया

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संधि करने आए भाई विभीषण को कुंभकर्ण ने नि:शब्द कर दिया। यहां आकर विभीषण भी धर्म संकट में फंस गए। कुंभकर्ण को राक्षस कुल का होते हुए भी धर्म, नीति व शास्त्र की संपूर्ण जानकारी थी।

कुंभकर्ण ने यह बोलकर विभीषण को मूक कर दिया कि, यदि शरीर के किसी अंग में रोष आ जाता है, तो क्या उसे त्याग दिया जाता है..? भाई-भाई की भुजा होता है, तुने अलग होकर उनकी एक भुजा काट ली।

तुने अपने भाई का साथ छोड़कर अपने स्वामी राम से व उनके भाइयों क्या सीख ली..? भाई के लिए भरत का त्याग देखा होता, लक्ष्मण से सेवा धर्म सीखा होता। तुझे आने वाले समय में कितना भी धार्मिक और राम भक्त क्यों न कहा जाए, लेकिन कुल के साथ विश्वासघात करने में तुझे अवश्य गिना जाएगा।

मुझे उसकी कुछ बातें तार्किक रूप से सही लगीं। गलत को गलत कहकर, बुराई त्याग कर, प्रभु राम का साथ देकर विभीषण ने अपनी महानता दिखाई, उसके लिए वही धर्म था।

रावण गलत कर रहा था, यह जानते हुए भी कुंभकर्ण बुरे वक्त में भाई का साथ देकर वीरगति को प्राप्त हुआ और उसके लिए वही सबसे बड़ा धर्म था।

लेकिन असमंजस यह है कि दोनों भाइयों में सही कौन था..?

स्वेता पांडेय जी की फेसबुक वाल से

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