ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकेगी रेलवे की फाग सेफ डिवाइस

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गोरखपुर (www.arya-tv.com) रेलवे स्टेशन के सिग्नल से पहले ही ट्रेनों के इंजनों में गोरखपुर की आवाज गूंजने लगेगी। स्टेशन हो या समपार फाटक, लोको पायलट सिग्नल से एक किमी पहले ही पूरी तरह सावधान हो जाएंगे। दुर्घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश तो लगेगा ही, ट्रेनें भी अधिकतम 75 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ती रहेंगी। यह सब संभव हो पाएगा फाग सेफ डिवाइस से, जो घने कोहरे में भी लोको पायलटों को जगाती रहेंगी। पूर्वोत्तर रेलवे में लोको पायलटों को अलर्ट करने के लिए ट्रेनों के इंजनाें में फाग सेफ डिवाइस लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

गोरखपुर-लखनऊ और गोरखपुर-नरकटियागंज रूट पर चलने वाली ट्रेनों में डिवाइस लगने लगी है। गोरखपुर-छपरा और गोरखपुर-वाराणसी रूट की ट्रेनों में लगाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। कुछ ट्रेनों में लगने भी लगी है। लेकिन, 15 नवंबर से पूर्वोत्तर रेलवे में चलने वाली 188 जोड़ी एक्सप्रेस, 67 जोड़ी पैसेंज सवारी गाड़ी और मालगाड़ियों सहित कुल लगभग 300 जोड़ी ट्रेनों के इंजनों में यह डिवाइस अनिवार्य हो जाएगी। रेलवे स्टेशन और समपार फाटकों के सिग्नल से एक किमी पहले लोको पायलटों को करती रहेगी सावधान

दरअसल, रेलवे प्रशासन ने कोहरे में बचाव संबंधी उपाय शुरू कर दिया है। जिसमें फाग सेफ डिवाइस महत्वपूर्ण है। जीपीएस पर आधारित यह डिवाइस कोहरा में आडियो और वीडियो दोनों माध्यमों से लोको पायलटों को सतर्क करती है। सिग्नल से पहले इस डिवाइस से स्टेशन और समपार फाटक का नाम और नंबर गूंजने लगता है। स्क्रीन पर रेल लाइन के आगे के सिग्नल, फाटक और स्टेशन भी दिखने लगते हैं।

जानकारों के अनुसार रेलवे प्रशासन ने बचाव से संबंधित पारंपरिक उपाय भी शुरू कर दिया है। ताकि, ट्रेनों का संचालन निर्बाध गति से होता रहे। फिलहाल, ट्रेन के सबसे पीछे लगने वाले कोच में लाल बत्ती की जगह फ्लैशिंग टेल लैंप लगने लगे हैं। रेल लाइनों पर पटाखों का चूने की मार्किंग का प्रयोग होने लगा है। रेल लाइन के किनारे खंभों पर रेट्रो रेट्रो रिफ्लेक्टर स्ट्रिप भी लगने लगे हैं। 15 नवंबर के बाद दृश्यता की जांच के बाद ही स्टेशनों पर ट्रेनों को सिग्नल मिलेगा।

कोहरे में सभी ट्रेनों के इंजनों में फाग सेफ डिवाइस लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पूर्वोत्तर रेलवे में उपलब्ध सभी 636 फाग सेफ डिवाइस की टेस्टिंग कर ली गई है। इस डिवाइस के उपयोग से ट्रेनों की औसत गति बेहतर हुई है। – पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी- पूर्वोत्तर रेलवे।