महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने धर्म-संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए बहुत बड़ा योगदान, बीएल संतोष

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(www.arya-tv.com) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने कहा कि महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने धर्म-संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया। काशी में यदि मंदिर है तो उसका एकमात्र कारण अहिल्याबाई होल्कर हैं। यदि वे नहीं होतीं तो काशी में मंदिर का यह रूप नहीं देख सकते थे। डॉ. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय में आयोजित ‘पुण्यश्लोक’ पूज्य देवी अहिल्याबाई होल्कर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष स्मृति अभियान-2025 को संबोधित करते हुये बी एल संतोष ने कहा कि मणिकर्णिका घाट के निर्माण में उनका बड़ा योगदान है। हरिद्वार, प्रयाग, अयोध्या में सरयू घाट का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर ने किया। सोमनाथ, कांची, रामेश्वरम, भीमाशंकर, श्रीशैलम में इन्होंने धर्मशालाओं का निर्माण, पीने के पानी, भंडारा की व्यवस्था की। पुजारियों के पूजा की जो व्यवस्था की, वह आज भी चालू है।

बीएल संतोष ने अहिल्याबाई होल्कर के आदर्श को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर का जीवन, साधना, कृतित्व, समाज, किसानों, महिलाओं, आर्थिक व्यवहार, पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर भी बहुत पुण्य का कार्य किया। अहिल्या बाई होल्कर के जीवन की हर पंक्ति पुण्यश्लोक जैसी है। उनकी कहानी सुनते-सुनते बड़े-बड़े इतिहासकारों ने अहिल्याबाई होल्कर को रानी, लोकमाता, लोकमंगल, प्रजावत्सला के बाद पुण्यश्लोक भी लिखा। संतोष ने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि हमने स्कूल-कॉलेज में अहिल्याबाई के बारे में नहीं पढ़ा। शासन करने वाले लोगों ने लंबे समय तक शिवाजी, महाराणा प्रताप, अहिल्याबाई होल्कर के बारे में पाठ्यक्रम में आने नहीं दिया। देश में 300 साल पहले जब महिला सशक्तिकरण का नाम ही नहीं था, तब एक रानी ने इतना बड़ा काम किया। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर को आज मिजोरम, मेघालय से लेकर कर्नाटक, अंडमान निकोबार, केरल तक लोग याद कर रहे हैं। मुरादाबाद, उत्तराखंड, कर्नाटक में उनकी प्रतिमा स्थापित हुई।