अतीक-अशरफ की हत्या की FIR, न्यायिक आयोग का गठन

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(www.arya-tv.com) प्रयागराज में माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात 10.30 बजे हत्या कर दी गई। 18 से 23 साल के तीन हमलावरों ने लाइव कैमरे के सामने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। शाहगंज थाने में इस हत्याकांड की FIR पुलिस ने दर्ज की है। इसमें बांदा के लवलेश तिवारी, हमीरपुर के मोहित उर्फ सनी और कासगंज के अरुण कुमार मौर्य के नाम हैं। कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

उधर, यूपी के गृह विभाग ने अतीक-अशरफ हत्याकांड की जांच के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया है। यह आयोग 2 महीने के अंदर मामले की जांच करके शासन को रिपोर्ट सौंपेगा। आयोग हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में काम करेगा। इसमें रिटायर्ड DGP सुबेश सिंह, जिला कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार सोनी को शामिल किया गया है।

पुलिस ने FIR में दावा किया कि लवलेश इस हत्याकांड का मास्टमाइंड है। हत्या की वजह क्या थी? इस सवाल का जवाब पुलिस ने FIR में दिया है। कहा है कि तीनों अतीक गैंग का सफाया कर अपने नाम की पहचान बनाना चाहते थे। इसलिए अतीक के साबरमती जेल से लाने की खबर मिलते ही ये तीनों प्रयागराज आ गए। वहां मीडियाकर्मी बनकर घूमते रहे।

1) मीडियाकर्मियों की भीड़ का हिस्सा बन गए हमलावर
तीनों हमलावर फर्जी मीडियाकर्मी बनकर प्रयागराज आए। वे मीडियाकर्मियों की भीड़ में रहकर अतीक और अशरफ को मारने की फिराक में थे। लेकिन, फोर्स से घिरा रहने के कारण मौका नहीं मिल पाया। शनिवार की रात मौका मिला और हत्या कर दी। हमलावर लवलेश को भी फायरिंग में आरोपियों की गोली लगी है। प्रयागराज के स्वरूपरानी मेडिकल कॉलेज (SRN) में उसका इलाज चल रहा है।

2) तीन दिन से प्रयागराज में डाल रखा था डेरा
पूछताछ में सामने आया कि हमलावर पिछले 3 दिन से अतीक और अशरफ का पीछा कर रहे थे। उनकी रेकी कर रहे थे। वह यह पता करते रहे कि कैसे और किन हालात में अतीक आता-जाता है। उसके साथ कितनी सुरक्षा रहती है। किस वक्त ज्यादा, किस वक्त कम रहती है। पूछताछ में यह भी सामने आया कि इससे पहले 26 मार्च को जब अतीक-अशरफ को प्रयागराज पेशी पर लाया गया था, तब भी हमलावर आए थे। लेकिन, तब उनको मौका नहीं मिला था।

3) अतीक गैंग का सफाया, पहचान बनाने की तमन्ना
सबसे बड़ा सवाल हत्या की वजह थी? FIR के मुताबिक, अरुण मौर्य, लवलेश तिवारी और सनी सिंह ने पूछताछ में हत्या का मकसद फेमस होना बताया है। तीनों ने बताया, “हम लोग अतीक और अशरफ गैंग का सफाया करके प्रदेश में अपने नाम की पहचान बनाना चाहते थे। भविष्य में इसका फायदा मिलता। हम लोग पुलिस घेरे का अनुमान नहीं लगा पाए। हत्या करके भागने में सफल नहीं हो पाए। पुलिस की तेजी से की गई कार्रवाई में हम लोग पकड़े गए।”

4) इसलिए, रात को अतीक-अशरफ को कसारी-मसारी जंगल ले गई थी पुलिस
FIR में पुलिस ने बताया कि अतीक ने पूछताछ के दौरान बताया कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान के ISI संगठनों से जुड़े लोग मेरे यहां आते-जाते थे। ISI से जुड़े व्यक्ति, हथियार का कारोबार करने वाले, हथियार देने वाले उस व्यक्ति का पता मुझे और अशरफ को मालूम है। इन लोगों का पता जेल में रहकर नहीं बता सकते। यदि साथ चलें, तो चल कर दिखाया जा सकता है। कुछ पता मैं और कुछ पता अशरफ जानते हैं।”

इन्हीं आतंकी संगठनों से मंगाए गए हथियारों से उमेश पाल और दो पुलिसकर्मियों की हत्या की गई थी। हत्या के बाद रखे हुए हथियारों का पता चल कर बता सकते हैं। क्योंकि उन जगहों का कोई मकान नंबर नहीं है। ऐसे में जेल से बता पाना मुमकिन नहीं है।” पुलिस के लिए उन हथियारों की बरामदगी भी जरूरी थी। इसलिए अतीक और अशरफ को रात को कसारी-मसारी जंगल पर मौके पर ले जाया गया।