पीएम मोदी ने लॉन्च की चेस ओलंपियाड की मशाल, बोले- हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है

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(www.arya-tv.com)  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंदिरा गांधी स्टेडियम में 44वें शतरंज ओलंपियाड के मशाल रिले का शुभारंभ किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि आज चेस ओलंपियाड गेम्स के लिए पहली टॉर्च रिले भारत से शुरू हो रही है। इस साल पहली बार भारत चेस ओलंपियाड गेम्स की मेजबानी भी करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि एक खेल, अपने जन्मस्थान से निकलकर पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ रहा है, अनेक देशों के लिए एक पैशन बन गया है। मोदी ने कहा कि भारत से सदियों पहले चतुरंग के रूप में इस स्पोर्ट्स की मशाल पूरी दुनिया में गई थी। आज शतरंज की पहली ओलंपियाड मशाल भी भारत से निकल रही है

मोदी ने कहा कि आज जब भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष का पर्व, अमृत महोत्सव मना रहा है, तो ये चेस ओलंपियाड मशाल भी देश के 75 शहरों में जाएगी। उन्होंने कहा कि एफआईडीई ने ये भी तय किया है कि प्रत्येक शतरंज ओलंपियाड खेल के लिए मशाल रिले भारत से ही शुरू हुआ करेगी। ये सम्मान न केवल भारत का सम्मान है, बल्कि शतरंज की इस गौरवशाली विरासत का भी सम्मान है। मैं इसके लिए एफआईडीई और इसके सभी सदस्यों का अभिनंदन करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि Analytical और problem solving brains के लिए हमारे पूर्वजों ने चतुरंग या शतरंज जैसे खेलों का आविष्कार किया। भारत से होते हुए शतरंज,दुनिया के अनेक देशों तक पहुंचा और खूब लोकप्रिय हुआ। आज स्कूलों में चेस युवाओं के लिए, बच्चों के लिए एक एजुकेशन टूल के रूप में इस्तेमाल हो रहा है।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि बीते 7-8 वर्षों में शतरंज में अपना प्रदर्शन लगातार बेहतर किया है। 41वें चेस ओलंपियाड में भारत ने ब्रॉन्ज के रूप में अपना पहला मैडल जीता था। 2020 और 21 के वर्चुअल चेस ओलंपियाड में भारत ने गोल्ड और ब्रॉन्ज भी जीता है। उन्होंने कहा कि इस बार अब तक की तुलना में हमारे सबसे ज्यादा खिलाड़ी चेस ओलंपियाड में भाग ले रहे हैं, मुझे आशा है कि इस बार भारत मेडल्स के नए रिकॉर्ड बनाएगा। मोदी ने कहा कि जैसे शतरंज के हर मोहरे की अपनी यूनिक ताकत होती है, उसकी यूनिक क्षमता होती है। अगर आपने एक मोहरे को लेकर सही चाल चल दी, उसकी ताकत का सही इस्तेमाल कर लिया तो वो सबसे शक्तिशाली बन जाता है। चेसबोर्ड की यही खासियत हमें जीवन का बड़ा संदेश देती है। सही सपोर्ट और सही माहौल दिया जाए तो कमजोर से कमजोर के लिए भी कोई लक्ष्य असंभव नहीं होता।