(www.arya-tv.com)घटना पिछले वर्ष की है जब केन्या द्वारा भेजी गई मदद को लेकर कई लोग उसका मजाक उड़ा रहे था पर जिसने इस महामारी की दौड़ में भारत की मदद के लिए हाथ बढ़ाया था और देश ने उनकी इस मदद को स्वीकार भी किया था। मदद छोटी हो या बड़ी मदद–मदद होती है भले ही केन्या के पास मेडिकल की मशीनें, ऑक्सीजन सिलेंडर, और दवाइयां ना हो, परंतु उसने जो मदद के तौर पर भेजा था वह भी प्रशंसा के पात्र है।
दान बड़ा हो या छोटा दान देने वाले की नियत देखी जाती है, उसका दान नहीं। केन्या ने भारत की मदद के तौर पर 12 टन फूड प्रोडक्ट्स भेजे थे ये फूड प्रोडक्ट्स महाराष्ट्र में बांटे गये थे। भारत की मदद के लिए कई देशों ने अपना हाथ बढ़ाया था और हर भारतीय उनका दिल से धन्यवाद अदा करता है साथ ही केन्या की तरफ से भी भारत को जो मदद मिली उसको लेकर पूरी दुनिया में उसकी प्रशंसा हो रही थी। साथ ही हिंदुस्तान में भी केन्या की मदद की प्रशंसा और उसका धन्यवाद किया जा रहा है लेकिन भारत में कोई चीज शांति से हो जाए ऐसा शायद हो नहीं सकता।
कई लोगों ने तो यहां तक बोल दिया कि भारत जैसा देश अब केन्या जैसे छोटे देश से मदद लेगा। कई लोगों ने तो केन्या को भिखारी और भीखमांगा आदि तक कह दिया। पर शायद पाकिस्तान जो कि आतंकियों को पालता है और हर घड़ी भारत के हृदय में चोट करने के लिए व्याकुल रहता है। पाकिस्तान की ओर से भारत को मदद की जाती। देश उसकी मदद को स्वीकार कर लेता तो ऐसे लोग उसकी प्रशंसा करने में पाकिस्तान को अपना बाप तक घोषित करने में लग जाते हैं।
रामायण में जब राम सेतु का निर्माण कार्य चल रहा था तब एक छोटी सी गिलहरी उस निर्माण कार्य में कंकड़ को उठाकर रामसेतु में अपना योगदान देती थी। जिसकी प्रशंसा खुद प्रभु श्रीराम ने की और गिलहरी प्रजाति को अपना प्रिय जीव बना लिया था। मदद कैसी भी हो वह मायने नहीं रखती मदद करने वाले का ह्रदय कितना विशाल है वाह देखना चाहिए।