मलिन बस्ती में जलाई शिक्षा की लौ:मजदूरी वाले नन्हें हाथों ने थामी पेंसिल

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(www.arya-tv.com) समाज में शिक्षा की अलख जगाने का कार्य कुछ युवा बड़ी ख़ामोशी के साथ कर रहे है। शुभम और श्रद्धा अग्रवाल साल 2015 में ढकनापुरवा की मलिन बस्ती में बच्चों कों पढ़ाने का कार्य कर रहे है। पूर्व में इस बस्ती के बच्चों का पढ़ाई से कोई बस्ता नहीं था। सभी बच्चें दिन भर की मजदूरी के बाद अपने माँ बाप की कमाई का जरिया बने हुए थे। जब इनके माता पिता से संपर्क किया तो उन्होंने बच्चों कों स्कूल नहीं भेजनें के पीछे आर्थिक लाचारी बताई। शुभम के समझाने के बाद उनमे से कुछ अपने बच्चों कों पढ़ाने कों तैयार हों गये।

आपसी सहयोग से मलिन बस्ती के बच्चों कों भेजा स्कूल

शुभम ने बताया कि उन्होंने अब तक कई बच्चों कों फुटपाथ कि पाठशाला से स्कूल के क्लास तक पहुंचाने का कार्य किया है। उन बच्चों कों अब स्कूल के होमवर्क कि प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए ट्यूशन भी दी जाती है। श्रद्धा ने बताया कि स्कूल जाने वाले बच्चों को लोगों से सहयोग के जरिये पढ़ाई कि सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। जिसमें ड्रेस से लेकर पेन्सिल, कॉपी और किताबें शामिल है।

अपने माता पिता कों प्रौढ़ शिक्षा दे रहे है बच्चें

पिछले 7 सालों से चली आ रही फुटपाथ की पाठशाला के बच्चें अब अपने माता पिता कों पढ़ना लिखना शिखा रहे है। शुभम और श्रद्धा ने बताया कि बच्चों की शिक्षा देने का क्रम अब आगे बढ़ चुका है। कभी बाल मजदूरी करने वाले बच्चे अब अपने माता-पिता को पढ़ना लिखना सिखा रहे हैं। इस तरह से पूरी मलिन बस्ती में शिक्षा की लौ रोशन हो रही है।

9 युवाओं कि टोली कर रही है शिक्षा दान

शुभम ने बताया कि उन्होंने एक यूथ ग्रुप बना रखा है। जो रूटीन के हिसाब से बच्चों को पढ़ाने का काम नियमित कर रहा है। इस ग्रुप में कुल नौ लोग जुड़े हुये है। सभी आपसी सहयोग से बच्चों के एजुकेशन में लगने वाली सामग्री को लाने का कार्य करते है। पूर्व में यह संख्या दो दर्जन से ज्यादा भी रह चुकी है। श्रद्धा ने बताया कि दिव्यांग बच्चों को शिक्षा कार्य के लिए भावना वेलफेयर फाउंडेशन कार्य कर रहा है।