भारी भरकम घाटा:सबसे बड़ा IPO लाने वाली पेटीएम सालों से घाटे में, पिछले साल 2,942 करोड़ का घाटा

Technology

(www.arya-tv.com)डिजिटल टेक और पेमेंट सेवा देने वाली पेटीएम ने 22 हजार करोड़ रुपए के IPO की तैयारी की है। इसकी बोर्ड मीटिंग में आज फैसला होगा। अगर LIC से पहले यह IPO आता है तो देश का सबसे बड़ा IPO होगा। लेकिन इसका सालों का घाटे का इतिहास रहा है। ऐसे में निवेशकों के लिए यह IPO सोच विचार कर निवेश करने के लिए होगा।

जोमैटो भी भारी भरकम घाटे में

हालांकि ई-कॉमर्स और इस तरह की कंपनियां घाटे में ही रही हैं। जोमैटो ने भी इसी महीने शेयर बाजार रेगुलेटर के पास अपना मसौदा जमा कराया है। वह 8,250 करोड़ रुपए का IPO ला रही है। लेकिन उसका भी घाटे का इतिहास रहा है। कंपनी ने कहा कि वह ऐतिहासिक रूप से घाटा वाली रही है और आगे भी ऐसा रह सकता है।

22 हजार करोड़ का आईपीओ

पेटीएम की बात करें तो यह 22 हजार करोड़ रुपए IPO से जुटाने की योजना बना रही है। वन97 कम्युनिकेशन इसकी मालिक है। कंपनी का वैल्यूएशन 2 से 2.20 लाख करोड़ रुपए के बीच है। कंपनी दिवाली तक IPO लाने की योजना बना रही है। अब तक देश में कोल इंडिया का सबसे बड़ा IPO 2010 में रहा है जो 15 हजार करोड़ रुपए का था।

2019-20 में 2,942 करोड़ का घाटा

आंकड़े बताते हैं कि साल 2019-20 में पेटीएम का घाटा 2,942 करोड़ रुपए का रहा है। दरअसल सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर कंपनी कब फायदा कमाना शुरू करेगी। इसके पास मासिक सक्रिय ग्राहकों की बात करें तो मार्च 2018 में 2.7 करोड़ थे। मार्च 2020 में यह संख्या 4 करोड़ हुई और अब यह 5.2 करोड़ है। ग्राहकों के मामले में यह कंपनी लगातार बढ़त हासिल कर रही है।

पेमेंट सेवाओं पर निर्भर है कंपनी

पेटीएम अभी भी पेमेंट सेवाओं पर ही ज्यादातर निर्भर है। हालांकि वह क्रेडिट, बीमा और वेल्थ जैसे सेगमेंट में भी काम कर रही है। यानी यह फाइनेंशियल सेक्टर में अपनी जमीन बना रही है। यह सेगमेंट अभी उसने बहुत जल्द शुरू किया है। इसी तरह उसने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर और शेयर ब्रोकिंग बिजनेस भी पेटीएम मनी के तहत शुरू किया है। इसमें उसे कम समय में अच्छी सफलता मिली है।

ब्रोकिंग और फंड सेगमेंट में भी है कंपनी

पर ब्रोकिंग और म्यूचुअल फंड दोनों ऐसे सेगमेंट हैं, जहां निवेशकों को लाने के लिए एक अच्छी फाइनेंशियल एडवाइजर की जरूरत होती है। भारत में निवेशक ऐसे नहीं हैं कि वे इस तरह से डायरेक्ट निवेश करने लगें। साथ ही पेटीएम इस समय जनरल बीमा कंपनियों को खरीदने की योजना बना रही है। जनरल बीमा मतलब गाड़ियों, स्वास्थ्य, घरों आदि का बीमा कराने से है। कंपनी का नॉन पेमेंट सेवाओं का बिजनेस 87% सालाना बढ़ा है। कंपनी 2022-23 में 7,500 करोड़ रुपए के रेवेन्यू का लक्ष्य रखी है। नॉन पेमेंट बिजनेस में क्रेडिट, वेल्थ और बीमा जैसे सेगमेंट हैं।

30 सब्सिडियरी चलाती है कंपनी

पेटीएम करीबन 30 सब्सिडियरी चलाती है। इसमें 7 एसोसिएट और ज्वाइंट वेंचर में हैं। वित्त वर्ष 2019 में इसका रेवेन्यू 3,232 करोड़ रुपए जबकि 2020 में 3,281 करोड़ रुपए रहा है। इसके खर्चे की बात करें तो वित्त वर्ष 2019 में कुल खर्च 7,730 करोड़ रुपए रहा है जबकि 2020 में 6,226 करोड़ रुपए रहा है। घाटा 2019 में 4,217 करोड़ जबकि 2020 में 2,942 करोड़ रुपए रहा है।

इसकी सब्सिडियरी में सबसे ज्यादा घाटा लिटल इंटरनेट का रहा है। इसे इसने 2017 में खरीदा था। इसका घाटा 277 करोड़ रुपए वित्त वर्ष 2020 में रहा है। जनवरी 20201 में इसका 28 करोड़ ट्रांजेक्शन रहा है जो 33,905 करोड़ रुपए के मूल्य का रहा है। यह यूपीआई के जरिए किया गया है।