(www.arya-tv.com) क्या आपने कभी सुना है कि किसी मृत इंसान के शरीर की खाल (स्किन) से मरीजों का इलाज किया जा सकता है. अब कानपुर में बर्न पेशेंट्स यानी जो लोग आग, पानी या भाप से जल चुके हैं या ऐसे मरीज अस्पताल में पहुंचेंगे तो उनके इलाज और सर्जरी में मृत इंसानों की स्किन का प्रयोग कर उन्हें फिर से पहले जैसा बनाने का कारगर इलाज और तरीका खोज निकाला गया है.
पहले लोग आम तौर पर प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से ये सर्जरी कराते थे और डॉक्टर उसी शख्स के शरीर के एक हिस्से से स्किन का कुछ हिस्सा निकल कर ऑपरेशन करते थे, लेकिन अब कानपुर में पहली बार यूपी का पहला स्किन बैंक बनने जा रहा है, जो साल के अंत तक तैयार हो जाएगा, जिसमें अपनी मृत्यु से पहले जो लोग अपने शरीर यानी देह को दान करेंगे उन्हें कानपुर के मेडिकल कॉलेज में संरक्षित कर उनकी स्किन को संभाला कर एक बैंक में रखा जाएगा.
कानपुर में बनेगा यूपी का पहला स्किन बैंक
स्किन शरीर से निकल ली जाएगी और उसे दवाइयों और अन्य तकनीक से सुरक्षित किया जाएगा, जो लगभग 5 साल तक सुरक्षित रहेगी और किसी जले हुए पेशेंट की सर्जरी और इलाज में काम आएगी, जिसको लेकर कानपुर एलएलआर हॉस्पिटल में एक बैंक बनाया जाएगा. अजीज स्किन बैंक का नाम दिया गया है.
डेड बॉडी से होगी अब बर्न पेशेंट्स की सर्जरी होगी
इस साल के अंत तक कानपुर के बर्न वार्ड में ही इस स्किन बैंक को तैयार किया जा रहा है, जिसमें ज्यादातर वो मरीज आते हैं या एडमिट हैं, जो किसी कारण से जल चुके हैं. अब उनके इलाज के दौरान उनकी प्लास्टिक सर्जरी को एक नया आयाम दिया जायेगा. ज्यादातर जलने वालों के शरीर के ही किसी बचे हुए हिस्से से मरीजों का इलाज होता था. क्योंकि उसी शरीर की स्किन को निकालकर अक्सर डॉक्टर सर्जरी करते थे, लेकिन वो मरीज जिनका अधिकांश शरीर या पूरा हिस्सा ही जल चुका हो उनके लिए इस व्यवस्था को तैयार किया जा रहा है, जिसमें उन लोगों के परिवार की सहायता ली जाएगी, जिनके पास अपनी मौत से पहले अपने शरीर को मानव जीवन के लिए समर्पित कर रहे हैं या करना चाहते हैं.
इस साल के अंत तक पूरा करने का है लक्ष्य
वहीं इस स्किन बैंक को लेकर कानपुर के हैलट हॉस्पिटल के बर्न विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रेम शंकर का कहना है कि इसके लिए मुहिम चलाई जा रही है कि हमें ज्यादा से ज्यादा बॉडी उपलब्ध हो. इसके लिए युग दादीक्ष देहदान संस्थान के माध्यम से जोड़कर चलाया जाएगा. इसके साथ ही जो मरीज सौ फीसदी जल चुके होंगे उनके लिए ये जीवनदायिनी का काम करेगा और मरीज को नया जीवन मिल सकेगा. इस साल के अंत तक इसे पूरा कराने का लक्ष्य है.