(www.arya-tv.com)पिछले करीब एक सप्ताह से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल सहित बारिश ने दक्षिण भारत में कहर ढा दिया है। आंध्र में अब तक बाढ़-बारिश से 17 लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं 100 से ज्यादा लोग लापता हैं। वहीं, केरल में भारी बारिश के बाद सबरीमाला तीर्थयात्रा पर एक दिन के लिए शनिवार को रोक लगा दी गई है। इससे भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं में निराशा है।
रेड अलर्ट जारी
पठानमथिट्टा की कलेक्टर दिव्या एस अय्यर ने बताया कि जिले में लगातार बारिश हो रही है। इससे पंबा नदी का जलस्तर बढ़ गया है। पंबा बांध के अलावा जिले के कक्की-अनाथोड बांध में भी पानी खतरे के निशान से ऊपर है। प्रशासन ने आसपास रहने वाले लोगों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है।
दिव्या ने कहा कि भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं से आज तीर्थयात्रा पर न जाने की अपील की गई है। जिन तीर्थयात्रियों ने ऑनलाइन बुकिंग कराई है, उन्हें मौसम ठीक होते ही मौका दिया जाएगा।
नवंबर से जनवरी तक खुलता है मंदिर
1. सबरीमाला मंदिर श्रद्धालुओं के लिए साल में सिर्फ हैनवंबर से जनवरी तक खुलता।
2. भक्त पंपा त्रिवेणी में स्नान करते हैं और दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करते हैं। इसके बाद ही सबरीमाला मंदिर जाते हैं।
3. पंपा त्रिवेणी पर भगवान श्रीगणेश की पूजा के बाद ही भक्त चढ़ाई शुरू करते हैं। पहला पड़ाव शबरी पीठम नाम की जगह है।
4. मान्यता है कि यहां पर रामायण काल में शबरी नामक भीलनी ने तपस्या की थी। श्री अय्यप्पा के अवतार के बाद ही शबरी को मुक्ति मिली थी।5. इसके आगे शरणमकुट्टी नाम की जगह आती है। पहली बार आने वाले भक्त यहाँ पर शर (बाण) गाड़ते हैं।
6. इसके बाद मंदिर में जाने के लिए दो मार्ग हैं। एक सामान्य रास्ता और दूसरा 18 पवित्र सीढ़ियों से होकर। जो लोग मंदिर आने के पहले 41 दिनों तक कठिन व्रत करते हैं वो ही इन पवित्र सीढ़ियों से होकर मंदिर में जा सकते हैं।
7. 18 पवित्र सीढ़ियों के पास भक्तजन घी से भरा हुआ नारियल फोड़ते हैं। इसके पास ही एक हवन कुण्ड है। घृताभिषेक के लिए जो नारियल लाया जाता है, उसका एक टुकड़ा इस हवन कुण्ड में भी डाला जाता है और एक अंश भगवान के प्रसाद के रूप में लोग अपने घर ले जाते हैं।
8. सबरीमाला मंदिर में भगवान की पूजा का एक प्रसिद्ध अंश घी का अभिषेक करना है। श्रद्धालुओं द्वारा लाए गए घी को सबसे पहले एक खास बर्तन में इकट्ठा किया जाता है, फिर उस घी से भगवान का अभिषेक किया जाता है।
मंदिर में दर्शन करने के पहले ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी
1. भक्तों को यहाँ आने से पहले 41 दिन तक समस्त लौकिक बंधनों से मुक्त होकर ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है।
2. इन दिनों में उन्हें नीले या काले कपड़े ही पहनने पड़ते हैं।
3. गले में तुलसी की माला रखनी होती है और पूरे दिन में केवल एक बार ही साधारण भोजन करना होता है।
4. शाम को पूजा करनी होती है और जमीन पर ही सोना पड़ता है।
5. इस व्रत की पूर्णाहुति पर एक गुरु स्वामी के निर्देशन में पूजा करनी होती है।
6. मंदिर यात्रा के दौरान उन्हें सिर पर इरुमुडी रखनी होती है, यानी दो थैलियां और एक थैला। एक में घी से भरा हुआ नारियल व पूजा सामग्री होती है तथा दूसरे में भोजन सामग्री। ये लेकर उन्हें शबरी पीठ की परिक्रमा भी करनी होती है, तब जाकर 18 सीढ़ियों से होकर मंदिर में प्रवेश मिलता है।