यूपी के गोरखपुर में एक बार फिर पोस्टरवार हुआ है. पोस्टरवार के जरिए भाजपा सरकार के ब्राह्मण विरोधी होने का दावा किया गया है. पोस्टर में IAS-IPS मुकदमे में फरार ब्राह्मणों के साथ क्यूं अत्याचार..? ईडी द्वारा सपा के राष्ट्रीय सचिव और चिल्लूपार से पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की गिरफ्तारी पर सियासत गरमा गई है. रवि पाण्डेय और वैभव तिवारी की ओर से लगाए गए पोस्टर के बाद हड़कंप मचा गया है. बैंक का डिफाल्टर होने के मामले में ईडी ने विनय शंकर तिवारी को मनी लॉड्रिंग के मामले में गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
गोरखपुर के अंबेडकर चौक पर सोमवार की देर रात ये पोस्टर चस्पा किया गया. कलेक्ट्रेट पुलिस चौकी के ठीक सामने लगाए गए पोस्टर में ऊपर जहां एक ओर विनय शंकर तिवारी और उनके दिवंगत पिता पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. हरिशंकर तिवारी की फोटो लगाई गई है. तो वहीं दूसरी ओर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की फोटो है.
पोस्टर लगाने वाले शख्स वैभव तिवारी ने सोशल मीडिया पर पोस्टर के साथ कोट किया है कि ‘रात 2 बजे लगे पोस्टर को जबरन उतार दिया गया. सवाल पूछना भी अब अधिकार में नहीं है.’ गोरखपुर के अंबेडकर चौक पर लगे पोस्टर की भनक लगते ही कुछ ही देर बाद आनन-फानन में उसे हटा दिया गया. हालांकि पोस्टर के पास से एक बाइक सवार पुलिसकर्मी बड़े ही गौर के साथ उसे देखते हुए जाता हुआ दिखाई दे रहा है. वहीं एक पोस्टर में मोबाइल से एक युवक खड़ा होकर उसकी फोटो खींचते भी दिख रहा है.
पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. हरिशंकर तिवारी का जटाशंकर स्थित घर ‘तिवारी अहाता’ के नाम से मशहूर रहा है. यहीं वजह है कि बाहुबली होने के साथ पूर्वांचल की राजनीति में खास पकड़ रखने वाले स्व. हरिशंकर तिवारी हर सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. स्व.हरिशंकर तिवारी के निधन के पहले ही ईडी का शिकंजा विनय शंकर तिवारी पर कसता चला गया. सोमवार 7 अप्रैल की शाम ईडी ने उन्हें लखनऊ स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया. इसी दौरान गंगोत्री इंटरप्राइजेज के डायरेक्टर अजीत पाण्डेय को महराजगंज से गिरफ्तार किया है. ईडी के सूत्रों के मुताबिक उनके पास विनय शंकर तिवारी के अलावा उनकी पत्नी रीता तिवारी और अन्य लोगों के खिलाफ भी पर्याप्त सबूत हैं. अब उन पर भी जल्द ही शिकंजा कस सकता है.
ED की जांच में क्या सामने आया?
ईडी की जांच में सामने आया था कि मेसर्स गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने अपने प्रमोटरों, निदेशकों, गारंटरों के साथ मिलकर बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले सात बैंकों के कंसोर्टियम से 1129.44 करोड़ रुपये की क्रेडिट सुविधाओं का लाभ लिया था. इस रकम को बाद में उन्होंने अन्य कंपनियों में डायवर्ट कर दिया और बैंकों की रकम को वापस नहीं किया, इससे बैंकों के कंसोर्टियम को करीब 754.24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.
पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की 72.08 करोड़ रुपये की संपत्तियों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नवंबर 2023 में जब्त कर दिया था. ईडी ने यह कार्रवाई विनय तिवारी की कंपनी गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड द्वारा बैंकों के कंसोर्टियम का करीब 1129.44 करोड़ रुपए हड़पने के मामले में की थी. बैंकों की शिकायत पर सीबीआई मुख्यालय ने केस दर्ज किया था. इसके बाद ईडी ने भी विनय तिवारी समेत कंपनी के समस्त निदेशक, प्रमोटर और गारंटर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी. साल 2023 में राजधानी स्थित ईडी के जोनल कार्यालय ने विनय शंकर तिवारी की गोरखपुर, महराजगंज और लखनऊ स्थित कुल 27 संपत्तियों को जब्त किया था. इसमें कृषि योग्य भूमि, व्यावसायिक कांप्लेक्स, आवासीय परिसर, आवासीय भूखंड आदि शामिल हैं.