(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 12 सीट पर 28 जनवरी को होने वाले मतदान से पहले सोमवार को चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसी के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है, हालांकि पहले दिन कोई नामांकन नहीं है। अब राजनीति के पंडितों की निगाह राजनीतिक दलों पर है। 12 में से दस सीट पर भाजपा की जीत तय है जबकि एक पर समाजवादी पार्टी जीत सकती है। अब 12वीं सीट को लेकर भाजपा के साथ समाजवादी पार्टी में जंग होगी। प्रदेश में विधानपरिषद की 12 सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया 18 जनवरी तक जारी रहेगी। इन सीटों के लिए 28 जनवरी को मतदान होगा। निर्वाचन आयोग ने 28 जनवरी को होने वाले मतदान को लेकर अपनी तैयारी पूरी पर ली है। प्रदेश में 12 सीट पर होने वाले विधान परिषद के चुनाव की अधिसूचना 11 जनवरी को जारी की जाएगी। इसमें 18 जनवरी तक नामांकन होगा।
नामांकन पत्रों की जांच 19 को होगी। इसके बाद नाम वापसी की अंतिम तिथि 21 जनवरी है। उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा 12 सीट पर सर्वाधिक लाभ में रहेगी। विधायकों की संख्या बल के आधार पर भाजपा की 12 में से दस सीट जीतना तय है। भाजपा का प्रयास 11वीं सीट जीतने का भी है। प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के खाते में 12 में से एक सीट आना तय है। विधान परिषद चुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीतिक पार्टियां कापी सक्रिय हो गई हैं।
सपा अहमद हसन को फिर भेज सकती है उच्च सदन: समाजवादी पार्टी के जिन छह सदस्यों का कार्यकाल 30 जनवरी को पूरा हो रहा है। उसमें सभापति रमेश यादव के अलावा दलनेता अहमद हसन भी हैं। ऐसे में पार्टी वरिष्ठता के आधार पर विधान परिषद में पार्टी के नेता अहमद हसन को फिर से उच्च सदन भेजेगी। समाजवादी पार्टी ने अपने बड़े वोट बैंक यानी मुस्लिम कोटा का पूरा ध्यान रखा है।
इनका कार्यकाल होगा 30 को समाप्त: भाजपा के स्वतंत्र देव सिंह, डॉ. दिनेश शर्मा, लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, समाजवादी पार्टी के अहमद हसन, साहब सिंह सैनी, आशु मलिक, रमेश यादव, राम जतन व वीरेंद्र सिंह तथा बहुजन समाज पार्टी के धर्मवीर सिंह अशोक, प्रदीप कुमार जाटव व नसीमुद्दीन सिद्दीकी का कार्यकाल समाप्त हो गया है।
विधान परिषद में सौ सदस्य: उत्तर प्रदेश में कुल 100 विधान परिषद सदस्य हैं। इनमें से 38 सदस्यों का विधानसभा सदस्य और 36 सदस्यों का निर्वाचन स्थानीय निकायों से होता है। आठ सदस्यों का चुनाव शिक्षक और आठ सदस्य स्नातक सदस्य चुनते हैं। दस विधान परिषद सदस्य मनोनीत किए जाते हैं। इन सभी सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष के लिए होता है।
