आयुष एडमिशन मामले में CBI जांच पर रोक:SC ने यूपी सरकार को जारी किया नोटिस, STF कर रही थी जांच

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(www.arya-tv.com)  सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के आयुष कॉलेजों में फर्जी एडमिशन मामले की CBI जांच कराने के लेकर फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच ने यूपी सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है। जिसमें इस मामले से जुड़े तथ्यों का ब्यौरा मांगा गया है। आयुष कॉलेज में एडमिशन घोटाले की खुद सरकार ने नवंबर 2022 में सीबीआई जांच की बात कही थी, लेकिन बाद में वह घोषणा तक ही सीमित रह गई।

दूसरी तरफ चर्चा है कि सरकार एसटीएफ की जांच में कई आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई और सही दिशा में जांच को देखते हुए इस मामले में एसटीएफ की जांच और कार्रवाई से संतुष्ट दिखी। इसलिए वह मामले की जांच सीबीआई से करवाने को तैयार नहीं है।

एसटीएफ ने लगाई थी पूर्व आयुर्वेद निदेशक समेत 15 लोगों के खिलाफ चार्जशीट
आयुष कॉलेज में एडमिशन घोटाले की जांच यूपी एसटीएफ कर रही थी। STF ने प्रो. एसएन सिंह (पूर्व निदेशक आयुर्वेद), डॉ. उमाकांत (पूर्व प्रभारी शिक्षा आयुर्वेद), राजेश सिंह (वरिष्ठ सहायक आयुर्वेद निदेशालय), कैलाश चंद भास्कर (कनिष्ठ सहायक आयुर्वेद निदेशालय), कुलदीप वर्मा, प्रबोध सिंह (एजीएम अपट्रान पावर ट्रॉनिक्स लिमिटेड), रुपेश श्रीवास्तव (तकनीकी सलाहकार अपट्रान पावर ट्रॉनिक्स लिमिटेड), गौरव गुप्ता (डायरेक्टर वी-3 सॉफ्ट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड), हर्षवर्धन तिवारी (डायरेक्टर टेक्नो ओसियन प्राइवेट लिमिटेड), सौरभ मौर्य (डायरेक्टर टेक्नो ओसियन प्राइवेट लिमिटेड), इंद्रदेव मिश्रा (डायरेक्टर रिमार्क टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड), रूपेश रंजन पांडेय (डायरेक्टर रिमार्क टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड), विजय यादव (चेयरपर्सन KVS इंस्टीट्यूट), धर्मेंद्र यादव (मैनेजर विजय आयुर्वेद) और आलोक त्रिवेदी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

आयुर्वेद निदेशक प्रो. एसएन सिंह सहित दो लोग हो चुके सस्पेंड
आयुष कॉलेजों में फर्जी एडमिशन मामले में आयुर्वेद निदेशक प्रो. एसएन सिंह और प्रभारी अधिकारी डॉ. उमाकांत यादव को निलंबित कर दिया गया है। जबकि होम्योपैथिक विभाग के संयुक्त निदेशक प्रो. विजय पुष्कर और यूनानी विभाग के प्रभारी अधिकारी प्रो. मोहम्मद वसीम के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रो. पुष्कर और प्रो. मोहम्मद वसीम अपने-अपने विभाग के काउंसिलिंग प्रभारी थे। सीबीआई जांच में आयुष विभाग के कई अफसरों का फंसना तय माना जा रहा है।

पूर्व मंत्री पर भी लगा था घूस लेने का आरोप
तत्कालीन आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी के खिलाफ उनके निजी सचिव राज कुमार दिवाकर ने घूस लेने का बयान दिया था। सचिव ने आरोप लगाया है कि आयुष में यूजी की मान्यता के लिए धर्म सिंह सैनी को 1 करोड़ 10 लाख और पीजी के लिए 50 लाख रुपए की घूस मिली है।

यह है आयुष कॉलेज एडमिशन घोटाले

वर्ष 2021-22 में काउंसिलिंग के लिए आयुर्वेद निदेशालय ने बोर्ड का गठन किया था। IT सेल न होने के कारण बोर्ड की निगरानी में निजी एजेंसी सॉफ्ट सॉल्यूशन को काउंसिलिंग का ठेका दिया गया। इस एजेंसी को अपट्रान पावरट्रानिक्स लि. ने नामित किया था। एक फरवरी 2022 से शुरू हुई काउंसिलिंग प्रक्रिया 19 मई तक चार चरणों में पूरी की गई।

प्रदेश के राजकीय तथा निजी कॉलेजों में 7338 सीटों पर एडमिशन हुए। काउंसिलिंग से लेकर ‌वेरीफिकेशन तक की जिम्मेदारी निजी एजेंसी की थी। दाखिलों के बाद सीट एलाटमेंट भी कर दिया गया। 1181 छात्रों के रिकॉर्ड नीट काउंसिलिंग की मेरिट सूची से नहीं मिले। इनमें से 22 छात्र ऐसे थे जो NEET में शामिल ही नहीं हुए थे। 1181 में से 927 को सीट आवंटन किया गया था। इनमें से 891 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश ले लिया।