वाराणसी के इस मंदिर में नहीं है कोई VIP, हनुमान जी के दरबार में सभी श्रद्धालुओं के लिए एक बराबर नियम

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देश दुनिया में स्थापित अनेक धर्मस्थल के प्रति करोड़ों हिंदुओं की अपार आस्था देखी जाती है. लोग एक जगह से दूसरे जगह पुरे उल्लास उमंग और कड़ी तपस्या के साथ धर्म स्थल पर पहुंचकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. लेकिन बीते वर्षों से एक विषय को लेकर भी अक्सर चर्चाओं का दौर सुर्खियों में रहता है.

अपनी उच्च स्तरीय सुविधा अनुसार अथवा रसूख के दम पर लोग आम श्रद्धालुओं के साथ कतार में न लगकर, बल्कि सीधे ही दरबार का दर्शन प्राप्त करना चाहते हैं. इसलिए आम लोगों के बीच अक्सर इस बात की चर्चा रहती है कि क्या भगवान के दरबार में भी VIP व्यवस्था हावी होती जा रही है. हालांकि इन सबके बीच मंदिरों के शहर वाराणसी में एक ऐसा प्राचीन धर्मस्थल है जहां पर देश के नामचीन हस्तियों से लेकर आम श्रद्धालु एक साथ और निर्धारित स्थान से ही दर्शन करते हैं.

प्राचीन संकट मोचन मंदिर में सभी श्रद्धालुओं के लिए यह व्यवस्था निर्धारित

 वाराणसी का संकट मोचन मंदिर प्राचीन धर्मस्थल माना जाता है, जहां पर हनुमान जी और राम जानकी लक्ष्मण जी का दर्शन करने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं. विशेष तौर पर शनिवार और मंगलवार के दिन यहां भारी भीड़ रहती है. मंदिर के प्रवेश द्वार से श्रद्धालु प्रवेश करते हैं, इसके बाद मंदिर के एक निर्धारित स्थान से हनुमान जी का और राम जानकी लक्ष्मण जी का दर्शन प्राप्त करते हैं.

देश के उच्च पद पर बैठा हुआ कोई व्यक्ति हो अथवा नामचीन हस्ती उसे भी एक निर्धारित स्थान से आगे जाने की अनुमति नहीं रहती है और सभी लोग श्रद्धा पूर्वक उसका पालन भी करते हैं. वहीं परिसर में सुबह 4:30 बजे मंदिर का कपाट खुल जाता है, दोपहर में 12 से 3:00 बजे तक मंदिर का कपाट बंद रहता है. इसके बाद मंदिर रात्रि पहर तक खुला रहता है. विशेष तौर पर मंगलवार और शनिवार को मंदिर रात्रि 12:00 बजे तक जबकि अन्य दिनों में रात्रि 10:40 तक खुला रहता है. भगवान को अर्पित होने वाला लड्डू, माला भी सभी भक्तों द्वारा अपनी क्षमता अनुसार मंदिर परिसर व गेट के बाहर स्थित दुकानों से खरीद कर चढ़ाया जाता है.

सबके सहयोग से ही निभाई जाती है परंपरा – महंत
 संकट मोचन मंदिर के महंत डॉक्टर डॉ. विश्वंभर नाथ मिश्रा ने मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि – प्राचीन समय से मंदिर की निर्धारित व्यवस्थाओं और परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है और यह सभी लोगों के सहयोग से ही संभव हुआ है. हमारा प्रयास है कि आगे भी सभी श्रद्धालुओं और गणमान्य लोगों को दर्शन प्राप्त होता रहें, किसी को भी कोई असुविधा न हो. मंदिर की प्राचीन परंपरा का इस विधि विधान से निर्वहन भी किया जाता रहे. अपार श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां श्रद्धालुओं का आगमन होता है, और उन पर हनुमान जी की कृपा होती है.