(www.arya-tv.com)नेपाल के गंडकी प्रान्त के मनांग और सिंधुपालचोक में बाढ़ ने कहर बरपाया हुआ है। यहां अब तक 16 लोगों की मौत और 22 लोगों के लापता होने की खबर है। डोलखा जिला प्रशासन ने भी इलाके में बाढ़ का अलर्ट जारी किया है। यहां प्रशासन ने तमाकोशी नदी के किनारों पर रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने की अपील की है। नेपाल में बने हालात का असर भारत के बिहार और यूपी के इलाकों में भी देखने को मिल रहा है। यहां गंगा समेत कई बड़ी नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है। बिहार की गंडक और बूढ़ी गंडक खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।इधर, उत्तराखंड के हरिद्वार से शनिवार को 3 लाख क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया। इस वजह से बिजनौर के 6 गांव राजारामपुर, मीरापुर, कुंदनपुर टीप, देवलगढ़, रघुनाथपुर, कोहरपुर में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
IMD ने देशभर में बारिश का अलर्ट जारी कर रखा है। अगले 3 से 4 दिन बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और सिक्किम, पूर्वी उत्तरप्रदेश, उत्तरपूर्वी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के इलाकों में भारी बारिश की संभावना जताई है। महाराष्ट्र से केरल तक तटीय इलाकों में तेज बारिश हो सकती है। इनमें कोंकण और गोवा, गुजरात, कर्नाटक के तटवर्ती और मध्य महाराष्ट्र में अगले 3 से 4 दिन बारिश हो सकती है। इनमें सबसे ज्यादा गुजरात और कर्नाटक के तटवर्ती इलाकों में ज्यादा असर रहेगा। IMD ने अगले दो दिन इन राज्यों में आंधी और तूफान आने की भी संभावना जताई है।
UP-गुजरात के तीन जिलों में 6 दिन फंसी रही 4 राज्यों की मानसूनी बारिश
- देश के 80% हिस्से में मानसून 12 जून को ही छा चुका था। फिर कुछ ऐसा हुआ कि UP के सहारनपुर, पीलीभीत जिले और गुजरात के सूरत में मानसूनी हवाएं 6 दिन तक ठहर गईं। इस वजह से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली की मानसूनी बारिश लेट हो गई। इस रुकावट की वजह बनी पश्चिमी हवाएं, जो मानसूनी हवाओं की विपरीत दिशा में बह रही थीं।
- दोनों तरफ की हवाओं में पूरे छह दिन चला टकराव शुक्रवार को धीमा पड़ा, तो मानसून धीरे-धीरे अपने रास्ते बढ़ना शुरू हुआ। मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि मानसून नहीं अटकता तो 13 या 14 दिन में देशभर में छा जाता, जो रिकॉर्ड होता।
- मानसून 11 जून को सूरत, दीव पहुंच गया था। प्रतिकूल हवाओं की वजह से 6 दिन वहीं अटका रहा। शुक्रवार को मानसून के लिए अनुकूल हवाएं चलीं। फिर मानसूनी हवाएं सौराष्ट्र, दक्षिण-पूर्व राजस्थान, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के उत्तरी हिस्से की ओर बढ़ीं।
बिहार: बाढ़ प्रभावित इलाकों में डर का माहौल, लौरिया- नरकटियागंज में संपर्क टूटा
बिहार के लौरिया और नरकटियागंज का सड़क संपर्क जिला मुख्यालय से पहले ही टूट चुका है। नरकटियागंज के 5 प्रखंडों के 42 गांव बाढ़ प्रभावित हैं। वहीं बगहा के 7 प्रखंडों में लगभग 90 गांव बाढ़ प्रभावित हैं। इधर, वल्मीकिनगर बराज पर गंडक का जलस्तर तो कम हो रहा है, लेकिन चंपारण, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर में उसके जलस्तर का बढ़ना जारी है। कोसी, बूढ़ी गंडक, पुनपुन, घाघरा और कुछ स्थानों पर अधवारा का जलस्तर बढ़ ही रहा है। बाढ़ के डर से 182 गांवों से पलायन हो रहा है।
गंडक डुमरियाघाट में खतरे के निशान से 128 सेंटीमीटर ऊपर थी और अगले 24 घंटे में उसके जलस्तर में 3cm की वृद्धि की संभावना है। कोसी नेपाल के अलावा वीरपुर के ऊपरी हिस्से और सहरसा में लाल निशान के ऊपर बह रही थी, जबकि कई स्थानों पर बूढ़ी गंडक और बागमती का जलस्तर बढ़ रहा है। गंगा बक्सर से कहलगांव तक पूरे प्रदेश में ऊपर बढ़ रही है। पिछले 24 घंटे में बक्सर में जलस्तर में 98 cm, पटना के दीघा में 63 cm की वृद्धि हुई है।