(www.arya-tv.com) नाटो देशों के शीत युद्ध के बाद पहला डिफेंस प्लान तैयार कर रहे हैं। इसके लिए बेल्जियम के ब्रुसेल्स में नाटो के रक्षा मंत्रियों की बैठक हो रही है।रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन जंग के बीच रूस से निपटने की स्ट्रैटेजी पर हजारों पन्नों में होगी। हालांकि, रूस के खिलाफ क्या एक्शन लेना है इस पर अभी सदस्य देशों में सहमति नहीं बन पा रही है।
इसके चलते शुक्रवार की बैठक बेनतीजा रही। नाटो चीफ जेंस स्टॉलटेनबर्ग ने कहा कि मंत्री डिफेंस प्लान को रिव्यू कर रहे हैं। जल्द इस मामले को सुलझा लिया जाएगा। बैठक में हिस्सा लेने वाले एक डिप्लोमेट ने बताया कि रूस के खिलाफ एक्शन लेने में तुर्किये रुकावट बन रहा है।
नाटो का दूसरा डिफेंस प्लान भी रूस के खिलाफ
नाटो देशों ने एक साथ मिलकर अब तक कई जंग लड़ी हैं। जैसे- अफगानिस्तान और इराक, लेकिन इस दौरान उन्हें कोई बड़ा डिफेंस प्लान बनाने की जरूरत महसूस नहीं हुई है। नाटो ने अपना पहला डिफेंस प्लान रूस के खिलाफ बनाया था।
अब दूसरा भी उसी के खिलाफ बनने की तैयारी हो रही है। नाटो देशों के मुताबिक यूक्रेन जंग सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद लड़ी जा रही पहली सबसे बड़ी जंग है। अगर इसे लेकर कोई प्लान नहीं बना तो उन्हें रूस से बड़ा खतरा हो सकता है। इसके चलते नाटो अपने 3 लाख सैनिकों को हाई अलर्ट पर रखने की योजना कर रहा है।
नाटो देशों में शामिल होना चाहता है यूक्रेन
नाटो के जनरल सेक्रेटरी जेंस स्टॉलटेनबर्ग का कार्यकाल इस साल सितंबर में खत्म होने जा रहा है। स्टॉलटेनबर्ग 9 सालों से इस पद पर हैं। ऐसे में वो चाहेंगे की रूस के खिलाफ जल्द से जल्द डिफेंस प्लान बन पाए। हालांकि उनका कार्यकाल आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
जुलाई में लिथुआनिया में नाटो सम्मेलन होने जा रहा है, जिसमें स्टॉल्टेनबर्ग के कार्यकाल, यूक्रेन युद्ध और नाटो की एकजुटता को लेकर अहम फैसले हो सकते हैं। जेलेंस्की बार-बार नाटो में शामिल होने की अपनी मांग दोहरा रहे हैं।
जेलेंस्की ने कहा था- यूक्रेन नाटो का सदस्य बनने के लिए तैयार है। हम सदस्य देशों से इस पर बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि जब सिक्योरिटी की गारंटी नहीं होती तो वहां केवल जंग की गारंटी होती है। दरअसल, जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका जंग के दौरान यूक्रेन को नाटो संगठन में शामिल करने को तैयार नहीं है। इन देशों को चिंता है कि ऐसा करने पर रूस की नाराजगी और बढ़ेगी।