देश की ताकत पर सवाल , 100 करोड़ वैक्सीन डोज इसका जवाब:PM

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(www.arya-tv.com) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश को संबोधित किया। कोरोनाकाल के 19 महीने में ये उनका 10वां संबोधन था। दिवाली से पहले दिए 20 मिनट के संबोधन में मोदी का ज्यादातर फोकस कोरोना वैक्सीन के 100 करोड़ डोज पूरे होने और महामारी से निपटने के तरीकों पर रहा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने एक संदेश भी दिया कि महामारी के वक्त जो सवाल उठे थे, देश ने उनके जवाब दे दिए हैं। साथ ही साथ उन्होंने अर्थव्यवस्था, किसानों और त्योहारों का भी जिक्र किया, तो मास्क को लेकर नया मंत्र भी दिया।

 नए भारत की तस्वीर
संबोधन की शुरुआत वेद वाक्य से करते हुए मोदी ने कहा, ‘कृतं मे दक्षिणे हस्ते जयो मे सव्य आहितः​​’…इसे भारत के संदर्भ में देखें तो हमारे देश ने एक तरफ कर्तव्य का पालन किया तो उसे बड़ी सफलता भी मिली। कल भारत ने 100 करोड़ वैक्सीन डोज का कठिन लेकिन असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया है। इसके पीछे 130 करोड़ देशवासियों की शक्ति लगी है। यह हर देशवासी की सफलता है। यह केवल एक आंकड़ा नहीं है। यह देश के सामर्थ्य का प्रतिबिंब है। यह उस नए भारत की तस्वीर है जो कठिन लक्ष्य हासिल करना चाहता है। जो अपने संकल्प की सिद्धि के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करता है।’प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के इस प्रयास की दुनियाभर में सराहना हो रही है, लेकिन इस विश्लेषण में एक बात छूट जाती है कि दुनिया के लिए वैक्सीन खोजना और दुनिया की मदद करना। इसमें विदेश की महारत है। हम इनकी बनाई वैक्सीन ही इस्तेमाल करते रहे। जब भारत में सदी की सबसे बड़ी महामारी आई तो सवाल उठा कि क्या भारत इससे लड़ पाएगा। वैक्सीन खरीदने का पैसा कहां से आएगा। क्या भारत इतने लोगों को टीके लगा पाएगा। भांति-भांति के सवाल थे, लेकिन आज यह 100 करोड़ वैक्सीन डोज सबके जवाब दे रहा है। भारत ने यह 100 करोड़ वैक्सीन डोज लगाई है और वह भी मुफ्त।

वैक्सीनेशन में VIP कल्चर हावी नहीं होने दिया
मोदी ने आगे कहा कि इससे भारत को जो फार्मा हब की पहचान मिली है उसे मजबूती मिलेगी। कोरोना महामारी की शुरुआत में यह भी आशंकाए व्यक्त की जा रही थीं कि भारत जैसे देश में इस महामारी से लड़ना मुश्किल होगा। यह भी कहा जा रहा था कि इतना संयम कैसे चलेगा, लेकिन भारत ने मुफ्त वैक्सीनेशन का अभियान शुरू किया। गांव, शहर, सुदूर देश का एक ही मंत्र रहा कि वैक्सीन भेदभाव नहीं करती तो वैक्सीनेशन में भी भेदभाव नहीं हो सकता। ये सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीनेशन अभियान पर VIP कल्चर हावी न हो। कोई कितने ही बड़े पद पर क्यों न रहा हो, कितना ही धनी क्यों न रहा हो, उसे वैक्सीन सामान्य नागरिकों की तरह ही मिलेगी।

  वैज्ञानिक तरीके से निपटेसप्लाई की चुनौती से
मोदी ने कहा कि भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम वैज्ञानिक आधार पर जन्मा है और पनपा है और वैज्ञानिक आधार पर चारों दिशा में पहुंचा है। हमारा पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम साइंस बाउंड और सांइस बेस्ड रहा है। इस अभियान में हर जगह साइंस और साइंटिफिक एप्रोच शामिल रही है। चुनौती भी थी कि इतनी बड़ी आबादी, इतने दूर दराज के इलाकों में समय से वैक्सीन पहुंचाया जाए, देश ने वैज्ञानिक तरीकों से इसके समाधान तलाशे। किस इलाके में कब और कितनी वैक्सीन पहुंचनी चाहिए इसके लिए भी वैज्ञानिक फॉर्मूले का उपयोग हुआ।