100 साल की हुई AMU:कभी तवायफों के कोठे से लिया चंदा, कभी घुंघरू बांधकर मंच पर उतर आए थे सर सैयद

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(www.arya-tv.com)दुनियाभर में अपनी तालीम के लिए मशहूर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) आज 100 साल की हो गई। यूनिवर्सिटी बनाने वाले सर सैयद में एक अलग ही जुनून था। उन्होंने पैसा जुटाने के लिए तवायफों के कोठे से चंदा लिया। खुद लैला-मजनूं के नाटक में लैला बनकर मंच पर उतर आए थे। ऐसे ही कई वाकयों के साथ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का इतिहास बड़ा रोचक है।

यूनिवर्सिटी के 100 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल तरीके से इसमें शिरकत कर रहे हैं। लाल बहादुर शास्त्री के बाद मोदी ऐसे पहले पीएम होंगे, जो AMU के प्रोग्राम में अपनी बात रखेंगे। 56 साल बाद ऐसा होगा। हालांकि AMU का एक तबका PM मोदी के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर खफा भी है। आइए जानते हैं यूनिवर्सिटी का इतिहास…

1857 की क्रांति के बाद सर सैयद ने देखा AMU का सपना

AMU के उर्दू डिपार्टमेंट के हेड प्रो. राहत अबरार बताते हैं कि 1869-70 में सर सैयद बनारस में सिविल जज के तौर पर पोस्टेड थे। उस दौरान उनका लंदन आना-जाना लगा रहता था। वहां उन्होंने ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसी यूनिवर्सिटी देखी हुई थीं। तब उनके जेहन में आया कि एक यूनिवर्सिटी बनाई जाए जो ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट कहलाए। यह सपना उनका जुनून बन चुका था। 9 फरवरी 1873 को उन्होंने एक कमेटी बनाई, जिसने तमाम रिसर्च कर 24 मई 1975 को एक मदरसा बनाने का ऐलान किया। ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि उस समय प्राइवेट यूनिवर्सिटी बनाने की परमिशन नहीं मिलती थी। 2 साल बाद, 8 जनवरी 1877 को मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज शुरू हो गया।

यूनिवर्सिटी के लिए अलीगढ़ ही क्यों चुना गया?

प्रो. राहत अबरार बताते हैं कि सर सैयद चाहते थे कि यूनिवर्सिटी वहां बने, जहां का वातावरण सबसे अच्छा हो। इसके लिए डॉक्टर आर जैक्सन की अगुआई में एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई। चूंकि उस समय कोई पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड तो था नहीं, तो इन लोगों ने अपनी रिसर्च की। इस कमेटी ने 3 पॉइंट्स पर अपनी रिपोर्ट दी।

  • नॉर्थ इंडिया में सबसे बढ़िया वातावरण उस समय अलीगढ़ का था। इसका कारण बताया गया कि अलीगढ़ में उस समय जमीन के अंदर पानी का लेवल 23 फीट पर था। उस समय दो चीजों से लोग ज्यादा मरते थे- सैलाब या अकाल। अलीगढ़ के आसपास कोई नदी, झरना या झील नहीं है, जिससे बाढ़ आ सके। वहीं, उस समय पानी का लेवल इतना अच्छा था कि अकाल का भी डर नहीं था।
  • अलीगढ़ ट्रांसपोर्ट फ्रेंडली था। जीटी रोड बन चुका था और रेलवे ट्रैक भी बिछ गया था। इससे आसपास के जिलों के बच्चे भी आसानी से यूनिवर्सिटी तक पहुंच सकते थे।
  • इस्लाम में हजरत अली को ज्ञान का द्वार माना गया है। ऐसे में हजरत अली के नाम पर बने इस शहर का चुनाव किया गया। मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने की वजह से यहां मुस्लिम बच्चे भी बहुत हैं।