सदन में हुए तमाशे की खुली पोल,फिर से सदन बुलाया गया

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  • सरकार और शासन के सख्त होते ही महापौर एक्शन में
  • शासनादेश पर स्वस्थ्य चर्चा हेतु 24 को बुलाई कार्यकारिणी

डॉ.अजय शुक्ला
इस खबर को लिखने से पहले यह बताना जरूरी है कि भारतीय जनता पार्टी अपने अन्दर और बाहर अनुशासन के लिए जानी जाती है फिर वह चाहे पार्टी का जितना भी बड़ा कद्दावर नेता ही क्यों न हो। ऐसा इसलिए बता रहा हूॅ क्योंकि अभी हाल में ही 19 सितम्बर को हुए नगर निगम लखनऊ सदन में जो हुआ वह किसी से ​छिपा नहीं है। सदन की गरिमा पूरी तहर तार—तार हो गयी फिर वह चाहे सत्ता पक्ष का पार्षद हो या विपक्ष का, किसी ने भी नगर निगम सदन की गरिमा को ध्यान नहीं रखा।

कुछ पार्षदों के द्वारा किये गये ऐसे कृत्य पर हमारी माननीय महापौर भी कुछ न कर सकीं, जबकि कानूनी जानकार बताते हैं कि महापौर को सदन की गरिमा को ध्यान में रखकर उन पार्षदों पर उचित कार्यवाई करनी चाहिए थी। पर ऐसा नहीं हुआ,  जिस कारण भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुर्नावृत्ति हो सकती है जो कि न सदन के लिए सही है न ही सरकार के लिए।
1— चर्चा के दौरान कुछ पार्षदों द्वारा माननीय नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन को सिर्फ गोपाल कहकर संबोधित किया गया तो पार्षद रमेश कपूर बाबा ने उसका विरोध किया और कहा कि मंत्री जी माननीय की श्रेणी में आते हैं आप लोग उनका नाम सम्मान से लीजिए।

2—चर्चा के दौरान सबसे बड़ी बात जो हुई वह आज तक नहीं हुई सामूहिक सदन में प्रमुख स​चिव नगर निकास को चोर की उपाधि से नवाजा गया है खुलेआम प्रमुख सचिव चोर है नारे लगाये गये। इस बात की तह पर जाकर पूछा गया तो पता लगा कि यह पूर्व नियोजित योजना थी जिसके पीछे की कहानी कुछ और ही थी। फिलहाल यह बहुत ही गलत बात है कि एक आईएएस जो कि विभाग को मुुख्यिा के तौर पर चलाता हो उसको ऐसा कहा जाए। इस पर तो रिकार्डिंग की जांच होनी चाहिए और ऐसा कहने वाले पार्षदों को निलंबित किया जाना चाहिए।

3—इस बार मानीय महापौर द्वारा लगातार पार्षदों से अपील की गयी थी वह प्रश्न के दौरान जो भी प्रश्न बनाये वह उनके क्षेत्र से संबंधित हो और सामाजिक क्षेत्र से जुड़ा हुआ हो पर पार्षदों ने इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया।
जो प्रश्न आये उनमें से एक प्रश्न ………

यदुनाथ सान्याल वार्ड से पार्षद सुनीता सिंघल ने पूछा कि मेरा पत्रा दिनांक 21.08.2019 जो कि चीफ फाईनेन्स एण्ड एकाउन्ट आफिसर, लखनऊ नगर निगम को सम्बोधित है, जो कि चार्टड एकाउन्टेन्ट द्वारा जारी आडिट रिपोर्ट एवं नोटिस ऑन एकाउन्ट की सत्यापित प्रति उपलब्ध कराते हुए चर्चा की मांग की थी अबतक न उपलब्ध कराने के क्या कारण रहे ? क्या यह सत्य है कि लखनऊ निगम के बजट में आय-व्यय के ऑकड़े एवं बैलेन्सशीट में भारी अन्तर है ? यदि हाँ तो क्यों ? क्या इस गम्भीर आर्थिक अनियमितता की उच्च स्तरीय जाँच करायी जायेगी ? यदि नहीं तो क्यों ?

“इस प्रश्न से साफ जाहिर होता है यह प्रश्न आम जनता से जुड़ा न होकर व्यक्तिगत लाभ के लिए पूछा गया है क्योंकि क्षेत्र की जनता को सिर्फ अपने क्षेत्रीय काम से ही मतलब होता है इसी के उल्टा इन्हीं के क्षेत्र के दूसरी पार्टी के एक नेता का कहना है कि अगर पार्षद महोदया से यह पूछ लिया जाए कि इनके वार्ड में कितना टैक्स जमा होता है तो क्या इनको इसकी जानकारी होगी और न ही पार्षद महोदया द्वारा कभी क्षेत्र का भ्रमण नहीं किया जाता है न ही कभी टैक्स जमा करेन के लिए प्रेरित किया जाता है ​बल्कि कई बार घरेलू और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का कर कम करने के लिए जरूर सिफा​रिश आयी है।”

4— गोमती नगर के एक युवा पार्षद रामकृष्ण से तो कोई भी अधिकारी व कर्मचारी प्रसन्न नहीं रहता सबका कहना है कि वह मेयर के दम पर सबको हनक में लेने का प्रयास करते हैं।

इन सबके बीच जब यह बाते सदन से निकल कर उच्च अधिकारियों और सरकार तक पहुंची तो नजीता साफ था योगी की सरकार है कोई भी अनुशासनहीनता बर्दास्त नहीं होगी। सरकार और शासन का रवैया कड़ा रहा। प्रमुख सचिव तो खासे नाराज हो गये। माननीय मंत्री को भी इसकी पूरी सूचना दी गयी। सब जानते हैं कि मेयर बहुत ही ईमानदार हैं उनको भी कुछ पार्षदों की यह बातें समझ में नहीं आयी तो स्वयं माननीय मंत्री आशुतोष टण्डन जी और उनके पिता लालजी टण्डन से मुलाकर की और चर्चा की। परन्तु इनमें समझने वाली बात यह है कि अगर इसी तहर पार्षदों द्वारा व्यक्तिग हित के लिए नगर निगम सदन की गरिमा को ध्यान में नहीं रखा जायेगा तो आम जनता पर इस पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

सदन में हुए बवाल के बाद नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन को मामले की जानकारी देने पहुंची मेयर संयुक्ता भाटिया