द्रोपदी बना नगर निगम, दुष्शासन और दुर्योधन कर रहे चीरहरण

Lucknow UP

डॉ. अजय शुक्ला(मान्यता प्राप्त पत्रकार)
लखनऊ। नगर निगम में महाभारत के दो किरदार अभी भी जिंदा हैं। वह अलग बात है कि योगी सरकार में भ्रष्ट और दागी अधिकारियों पर लगातार नकेल कसी जाती रही है। पर शायद अभी भी सरकार की रडार से कुछ दागी दूर हैं। जो समय समय पर सरकार के सफेद चरित्र पर दाग डालने पर तुले रहते हैं, क्योंकि इन अधिकारियों को सिर्फ अपनी जेब भरने से मतलब रहता है। इन्हें न तो सरकार का डर है और न ही किसी कानून का।

नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी

1—कहने को तो नगर आयुक्त श्रीमान डॉ.इन्द्रमणि त्रिपाठी बहुत ही सरल स्वाभाव के व्यक्ति हैं पर दो महीनों से वह दलालों के मसीहा बने हुए हैं, उनके द्वारा नियम विरूद्ध लेखा विभाग से होने वाले भुगतान का अचानक मुखिया बन जाना सबकी आंखों में खटकने लगा और देखते ही देखते दलालों ने सेंसेक्स की ऊंचाइयों को छू लिया।
2—पहले अपर नगर आयुक्त और मुख्यलेखाधिकारी किसी भी प्रकार के भुगतान पर संयुक्त हस्ताक्षर करते थे पर कुछ माह पहले इस संयुक्त हस्ताक्षर पर नगर आयुक्त का साइन होने लगा। जिसके बल पर नगर आयुक्त मनचाहे लोगों को अपनी कुर्सी बचाने के लिए समय समय पर भुगतान करते रहते हैं।
3—मजे की बात ​देखिए सत्ता के दलालों ने इस बड़े बदलाव पर कोई सवालिया बात पूछना भी जरूरी नहीं समझा, बल्कि इसमें मिल कर अपने—अपने भुगतान करवाने में जुट गये।
4—इस सबमें सबसे बड़ा हाथ सीएफओ महामिलिंद का है जिसके बल पर नगर आयुक्त पूरी नाव पार लगा रहे हैं।
5— सूत्रों की मानें तो अभी एक बड़े नेता से 4 करोड़ रूपये की डील होने की बात भी सामने आ रही है। पर साक्ष्य न होने के कारण नाम नहीं लिखा जा रहा है। हम इस मामले की पूरी तहकीकात में लगे हैंं साक्ष्य मिलते ही हम उन सभी चेहरों से नकाब उतारेंगे तो पर्दे के पीछे मलाई काट रहे हैं।
6—आर.आर.विभाग में करोड़ों रुपए का फर्जी फाइलों के नाम पर घोटाला हुआ है। जिसकों नगर आयुक्त द्वारा दबा दिया गया है। रामराज्य की सरकार में ऐसे भ्रष्टाचारों को दबाने का अधिकार आखिर नगर आयुक्त को किसने दिया। इस बात को लेकर जन सूचना भी मांगी गई है। वह अलग बात है कि नगर निगम जन सूचना देने में कोताही करेगा, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो सूचना आयोग में भी शिकायत की जाएगी।

इतना ही नहीं सूत्र बताते हैं कि स्मार्ट सिटी योजना में भी नगर आयुक्त स्तर से टेंडरों में बड़े स्तर पर घोटालों कों अंजाम दिया गया है।

आपको बता दें कि यह वहीं नगर आयुक्त हैं जिनके विकास मॉडल की तारीफें खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। जब वह बिजनौर के सीडीओ थे। कहा जाता है कि ई टेंडर, होल्डिंग जैसे घोटालों के उजागर होने के बाद इंद्रमणि​ त्रिपाठी को बड़ी उम्मीदों के साथ लखनऊ में नगर आयुक्त की कमान दी गई थी लेकिन शायद आज वह उम्मीदों पर खरे उतरते नहीं दिख रहे।

आपको बता दें कि नगर आयुक्त पूर्व आईएएस दिवाकर त्रिपाठी को अपना आदर्श मानते हैं।