मेयर समय से लागू नहीं पायी ओटीएस स्कीम
इसी कारण नगर निगम के हालात और खराब हुए
डॉ.अजय शुक्ला
सिर्फ लखनऊ ही ऐसा शहर है जहां पर सरकारी काम काज में नेताओं की सर्वाधिक भादीदारी होती है। अन्य नगर निगमों में नगर आयुक्त और अन्य अधिकारी अपने हिसाब से निगम को चलाते हैं। पर यहां पर सब कुछ उल्टा है एक तरफ नेताओं का प्रेशर दूसरी और वसूली का कम होना। अधिकारी नगर निगम को चलाये तो कैसे चलाये। नगर आयुक्त में स्वयं के निणर्य लेने की कोई भी क्षमता नहीं है वह जब से आये हैं सिर्फ नेताओं के साथ फोटो खिचवाने के सिवा कुछ मजबूत निणर्य नहीं ने पाये हैं। अगर कोई निणर्य लेते हैं तो भी अपने ऊपर के आकाओं से पूछ कर ही लेते हैं। सबसे बड़ी शर्म की बात तो यह है कि हमारे शहर के पार्षदों को सिर्फ काम और पेंमेंट से लेना देना हैं वसूली की बात कोई भी अपने वार्डों में नहीं उठाते और न ही कोई साकारात्मक प्रक्रिया का पालन करते हैं। नगर निगम की टीम सीमित है ऐसी व्यवस्था में शहर के विकास को गति देने के लिए मेयर और उनकी टीम को भी अधिकारियों का सहयोग देना चाहिए जो नहीं हो पा रहा है।
