इस्लाम में ‘हराम’ है शराब, जिस देश में जन्मा धर्म वहां 72 साल बाद खुला पहला अल्कोहल स्टोर

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(www.arya-tv.com) सऊदी अरब में पहली शराब की दुकान (Saudi Arabia First Alcohol Store) उसकी राजधानी रियाद (Riyadh) के राजनयिक इलाके में खुल गई है. ‘सीएनबीसी’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह दुनिया के सबसे ज्यादा रूढ़िवादी मुस्लिम देश (Muslim Country) के लिए एक बड़ा बदलाव है. जहां 1952 से शराब पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. उस वक्त एक सऊदी राजकुमार ने शराब के नशे में एक ब्रिटिश राजनयिक की हत्या कर दी थी. वैसे भी इस्लाम के तहत शराब पीने की मनाही है और सऊदी अरब की अधिकांश स्थानीय आबादी अपने जीवन में इस धार्मिक नियाम का पालन करती है. इन सबके बावजूद सऊदी अरब में पिछले कुछ साल में शराब के अवैध प्रवाह को नहीं रोका जा सका है.

सऊदी अरब में अब तक शराब का कारोबार केवल बंद दरवाजों के पीछे होता रहा है, जो केवल गैर-मुस्लिम राजनयिकों के लिए सुलभ है. विदेशी दूतावास सऊदी सरकार के साथ तय समझौतों के तहत शराब का आयात कर सकते हैं. इसको लेकर देश के प्रवासी और स्थानीय निवासी कई तरह के आरोप भी लगाते रहे हैं. कहा जाता है कि वहां से शराब की बोतलें अक्सर काले बाजार में भारी कीमत पर बेची जाती हैं. लोगों का साफ कहना है कि हर कोई जानता है कि कौन से दूतावास शराब बेचते हैं. उनमें से कुछ ने तो इसको एक पूरा बिजनेस बना लिया है. जो काले बाजार में शराब के दाम से चार, पांच, यहां तक कि दस गुना अधिक कीमत पर उसे बेचते हैं.

ब्लैक मार्केट में शराब के दाम आसमान पर
सऊदी अरब में काला बाजार में वोदका की एक लीटर की बोतल की कीमत आमतौर पर 500 और 600 डॉलर के बीच होती है. जबकि जॉनी वॉकर ब्लू लेबल की एक बोतल की कीमत 1,000 और 2,000 डॉलर के बीच है. वहां रह चुके प्रवासियों के मुताबिक सऊदी अरब में दशकों से घर पर शराब बनाने का गैर-कानूनी धंधा भी होता रहा है. सऊदी अरब में शराब की तस्करी के लिए लोग अक्सर किसी भी हद तक चले जाते हैं. सऊदी अरब शराब पीते या बेचते पकड़े गए लोगों को कठोर दंड दिया जाता है. जिसमें जुर्माना या कोड़े से लेकर निर्वासन और जेल की सजा तक शामिल है.