बाघिन त्रुशा ने जन्मे थे 14 शावक; 4 राज्यों में भेजे गए बाघ:कल’विश्व बाघ दिवस’था

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(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश में बाघों का गढ़ कानपुर जू को कहा जाता है।  कल’विश्व बाघ दिवसके मौके पर हम आपको प्रदेश के बाघों के सबसे बड़े प्रजनन केंद्र कानपुर जू के बारे में बताते हैं। अब तक यहां के जू में 50 से ज्यादा शावक जन्म ले चुके हैं। हालांकि बीते 6 सालों में एक भी बाघ यहां नहीं जन्मा।

बाघिन त्रुशा ने सबसे ज्यादा 14 शावकों को यहां जन्म दिया, लेकिन उसकी उम्र काफी ज्यादा हो गई है। वह बीमार है। लखनऊ और गोरखपुर जू के मुकाबले कानपुर जू में सबसे अधिक संख्या बाघों की है। कानपुर जू से चंडीगढ़, रायपुर, जोधपुर और दिल्ली जू में बाघ भेजे गए हैं।

कई बार मेटिंग के बाद भी सफलता नहीं
जू प्रशासन ने कई बार बाघ-बाघिन की मेटिंग कराई, लेकिन गर्भधारण में सफलता नहीं मिली। वर्तमान में जू में 10 बाघ हैं। जिसमें 4 नर और 6 मादा हैं। 4 फरवरी 1974 को अस्तित्व में आए 3.2 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले जू का प्राकृतिक माहौल यहां के जानवरों को खूब भाता है।

यूपी में कुल बाघों की संख्या 173
कानपुर जू के डॉक्टर अनुराग सिंह के मुताबिक, कानपुर के अलावा यूपी में बाघों की संख्या 173 है। देश में कुल बाघों की संख्या करीब 3167 तक पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश में जू में पल रहे बाघों की बात करें तो कानपुर में 10, जबकि लखनऊ जू में मादा बाघ 2 और नर बाघ 6 हैं। गोरखपुर जू में मादा बाघ 1 और नर बाघ की संख्या 2 है।

कानपुर में 6 सालों से शावक नहीं जन्में
कानपुर जू के डॉक्टरों के मुताबिक, हाल ही में तिरुपति से रेस्क्यू कर बाघिन दुर्गा को लाया गया है। इसकी उम्र करीब साढ़े 3 साल है। इसके अलावा करीब 8 साल की मालती और करीब 5 साल की पुष्पा है। डॉक्टर्स इन मादा बाघिन को प्रजनन के लिए तैयार कर रहे हैं। यहां छह साल से शावक नहीं जन्मे। भविष्य में उम्मीद है कि कानपुर जू में 6 साल का सन्नाटा टूटेगा और शावकों की प्यारी आवाज फिर से गूंजेगी।