(www.arya-tv.com) देश और दुनिया में बढ़ते प्रदूषण के खतरे को कम करने के लिए सभी क्लीन एनर्जी की ओर ध्यान दे रहे हैं. यानी ऐसी ऊर्जा जिसके उत्पादन से पर्यावरण को कोई नुकसान ना पहुंचे. ऊर्जा आज इंसानी सभ्यता की सबसे बड़ी जरूरत है. विकास के लिए ऊर्जा को सबसे जरूरी माना जा रहा है. आज के दौर में प्रदूषण मुक्त ऊर्जा पैदा करना सबसे बड़ी चुनौती है. इसको लेकर कई प्रयोग जारी हैं.
इसी बीच मुरादाबाद के एमआईटी कॉलेज के शिक्षकों ने एक रिसर्च की है. जिसके माध्यम से आपको बहुत कम पैसों में नदी के पानी से बिजली मिलेगी. इसके साथ ही घर दुकान और जीवनचर्या में बिजली की कमी दूर हो सकेगी. इतना ही नहीं रोजाना के उपयोग के बाद का बेकार पानी बागवानी में सब्जी का उपहार दे सकेगा.
सीवर टैंक के पानी से बनेगी बिजली
इस रिसर्च में एमआईटी के डीएन एकडमिक्स डा.क्षितिज सिंघल ने डॉ.अमित सक्सेना, सहायक प्रोफेसर और डॉ.राजुल मिश्रा प्रमुख इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के साथ काम किया है. जिस प्रोजेक्ट का पेटेंट प्रकाशित भी हो चुका है. टीम ने स्मार्ट वाटर मैनेंजमेंट और रिसाईकिल सिस्टम विषय के खोज को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में पंजीकृत करा लिया है. दिल्ली स्थित एजेंसी में इस रिसर्च का पटेंट भी हो चुका है. इस प्रोजेक्ट को एआईसीटीई इन्वेंटर्स चैलेंज के सेमीफाइनल के लिए भी शॉर्टलिस्ट किया गया है. इस एआईसीटीई आविष्कारक चुनौती के लिए पूरे भारत से 80 परियोजनाओं को चुना गया है जिसमें ये प्रोजेक्ट भी है. टीम ने रामगंगा की मिट्टी (दलदल) में इस तरह की वैक्टीरिया की खोज की है. जो सीवर टैंक के पानी में 10 से 15 दिन के भीतर बिजली का उत्पादन शुरू कर देगा.
ये है टू इन वन प्रोजेक्ट
डॉ क्षितिज सिंघल और डॉक्टर अमित सक्सेना ने बताया कि हमने स्मार्ट वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम का प्रोजेक्ट बनाया है और इस प्रोजेक्ट पर हम करीब 3 साल रिसर्च कर रहे थे. इसका हम पेटेंट भी फाइल कर चुके हैं. जो सेकंड लेवल पर आ गया है. सभी जगह से यह फाइनल हो गया है. अब एआइसिटी इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए हमें कॉम्पोनेंट्स देगी. जिससे कि हम इसे एक बड़े प्रारूप में तैयार कर पाएंगे. यह टू इन वन प्रोजेक्ट है. यह घरों से निकलने वाले वेस्ट वाटर को तो साफ करेगा ही करेगा. बल्कि इसका दूसरा प्रोजेक्ट इलेक्ट्रिसिटी है. जो घर में इस्तेमाल होने वाली छोटी-छोटी चीजों में प्रयोग की जाएगी. जिससे आपकी बिजली की बचत होगी.