मेरठ: सीएए के विरोध में शहर में हिंसा भड़काने में पीएफआइ,एसबीपीआइ की अहम भूमिका

Meerut Zone UP

मेरठ।(www.arya-tv.c0m) नागरिकता संशोधन कानून सीएए के विरोध में शहर में हिंसा भड़काने में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसबीपीआइ) की अहम भूमिका सामने आई है। ये संगठन, प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया का लघु रूप हैं, जो छह माह से शास्त्रीनगर में ऑफिस खोलकर मुस्लिम युवाओं को हिंसा के लिए प्रशिक्षित कर रहे थे।

पुलिस ने बुधवार दोपहर एसबीपीआइ के दो सदस्यों को गिरफ्तार करने के बाद दोनों ऑफिस की तलाशी ली, अहम दस्तावेज बरामद किए। एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि मेरठ में हुई हिंसा के पीछे पीएफआइ और एसबीपीआइ संगठनों का हाथ सामने आया है। छह माह से दोनों संगठन शास्त्रीनगर में ऑफिस खोलकर मुस्लिम युवाओं को भड़का रहे थे। नौचंदी पुलिस ने बुधवार को एसबीपीआइ के दो सदस्यों हापुड़ निवासी नूर हसन और हमीरपुर निवासी मुईद को गिरफ्तार कर लिया है।

एसएसपी के अनुसार पीएफआइ का सरगना आबिद उर्फ परवेज मौके से भाग गया। दोनों संगठनों के ऑफिस की पुलिस ने तलाशी ली। भारी मात्र में पैंफलेट, सीडी, साहित्य समेत आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद हुए। 20 दिसंबर को बवालियों का जो रूप देखने को मिला उससे साफ है कि सभी को दोनों संगठनों के लोगों ने ट्रेंड किया था। उनमें धार्मिक उन्माद भरने के लिए दिल्ली से भी कुछ लोगों को बुलाया गया था।

नूर हसन और मुईद से पुलिस की टीमें पूछताछ कर रही हैं। इंटेलीजेंस की टीम ने भी नूर हसन से जानकारी ली है। बताया गया है एसबीपीआइ का सरगना हिंसा के बाद से ही मेरठ छोड़कर फरार हो गया था। जुमे की नमाज के बाद हिंसा के अंदेशे को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था भी दुरुस्त की जा रही है। हिंसाग्रस्‍त क्षेत्रों पर विशेष नजर रखी जा रही है। साथ ही आरएएफ के साथ पीएसी और भारी पुलिस बल जुमे की नमाज के दौरान तैनात रहेगा।

अफसरों का कहना है कि हिंसा को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। लोगों से शांति की अपील की जा रही है। साथ ही शरारती तत्वों की जानकारी देने के लिए भी कहा जा रहा है।पीएफआइ के सदस्य अमजद और जावेद को पुलिस ने जेल भेज दिया। उनके सरगना आबिद की तलाश में टीमें लगी हैं। बताया गया कि उक्त लोगों ने शहर में हजारों युवकों को सदस्य भी बना लिया है। नमाज के समय सभी सदस्यों के मोबाइल नंबर पर कॉल भी की गई।

बताया जाता है कि उनके सदस्यों ने दिल्ली जेएनयू का हवाला देकर युवाओं को उत्तेजित किया था। पुलिस की टीमें इन संगठनों के सदस्यों की धरपकड़ को लगा दी गई हैं। सीएए के विरोध में हुई ¨हसा के बाद खुफिया तंत्र को ताजा इनपुट मिला है कि इस बार हिंसा हुई तो बवाली, महिलाओं को सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, जबकि पहले उन्होंने बच्चों को ढाल बनाया था। शुक्रवार को हुई ¨हसा में आधा शहर जल गया था।

इस दौरान हजारों की भीड़ सड़कों पर थी, आगजनी और जमकर पथराव हुआ था। उपद्रवियों ने बवाल के दौरान बच्चों के हाथों में भी पत्थर दे दिए थे। उन्हें आगे रखकर पीछे से बवाली पत्थरों की बौछार कर रहे थे। खुफिया विभाग को इनपुट मिला है कि यदि इस बार हिंसा हुई तो बवाली, बच्चों के साथ ही महिलाओं को भी आगे कर सकते हैं। हालांकि खुफिया विभाग के साथ ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी अलर्ट हो गए हैं।