उत्तर प्रदेश में सभी सियासी दल 2027 के चुनाव की तैयारियों में अभी से जुट गए हैं. ऐसे में बहुजन समाज पार्टी ने भी अपने मिशन 2027 को धार देना शुरू कर दिया है. बसपा सुप्रीमो मायावती लगातार पार्टी की पुरानी ताकत को वापस पाने के लिए रणनीति बनाने में जुटी है ताकि 13 साल के सूखे को किसी तरह खत्म किया जा सके. अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए बसपा दलितों के साथ पिछड़ों और अति पिछड़ों को साधने में जुटी है. इसके लिए बाकायदा रणनीति बनाकर काम किया जा रहा है.
बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर बहुजन समाज पार्टी गांव-गांव जाकर पिछड़े और अति पिछड़ों को जोड़ने के लिए चौपाल लगा रही है, जिसमें बसपा सरकार में उनके लिए किए गए कामों को गिनाया जा रहा था. इसके साथ ही ये बताया जा रहा है कि अगर बसपा की सरकार आती है तो उनके लिए और क्या-क्या काम किए जाएंगे. नव भारत टाइम्स अखबार के मुताबिक पार्टी पदाधिकारियों को इन चौपालों के जरिए हर जिले में कम से कम 100 से 150 सदस्यों को जिला संगठन कार्यकारिणी में शामिल करने को कहा गया है. जो पिछड़े और अति पिछड़े समाज से हों.
पार्टी का मानना है कि प्रदेश में जब-जब मायावती की सरकार रही तब-तब पिछड़ों और अति पिछड़ों के लिए बड़े पैमान पर काम किए गए थे. बसपा सुप्रीमो ने इन तमाम कामों को इस समाज के बीच ले जाने को कहा है. एक वक्त था जब ये लोग बसपा के साथ मजबूती से खड़े दिखाई देते थे, लेकिन अब इनका झुकाव बीजेपी और सपा की ओर हो गया है. बसपा इन वोटरों को फिर से अपने साथ जोड़कर 2027 में वापसी का सपना देख रही है.
मायावती ने दो महीने पहले भी पार्टी की भाईचारा कमेटी को बहाल किया था जिसकी जिम्मेदारी पार्टी महासचिव मुनकाद अली को दी गई है. मुनकाद अली ने भी पश्चिमी यूपी में अपने इस काम को धार देना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि वो संगठन को एकजुट करने पर काम कर रहे हैं, जिसके आधार पर बसपा एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी करेगी और मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनेंगी.
एक तरफ जहां बसपा की नजर पिछड़े और अति पिछ़ड़ों पर है तो वहीं दूसरी तरफ आकाश आनंद की वापसी से भी बसपा का आत्मविश्वास बढ़ा है. आकाश आनंद को युवाओं को जोड़ने की जिम्मेदारी दी गई है. युवा वर्ग में वो बहुत लोकप्रिय हैं, युवा ख़ुद को उनसे कनेक्ट भी कर पाते हैं.