इन दिनों संसद में चुनाव सुधार पर चल रही बहस के बीच बसपा नेत्री मायावती ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के स्थान पर बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग उठाई है। साथ मायावती ने वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की समय सीमा बढ़ाने और चुनावों में क्रिमनल रिकॉर्ड छिपाने की स्थिति में पार्टी के बजाय संबंधित उम्मीदवार को ही जवाबदेह बनाए जाने का भी सुझाव दिया है।
मायावती के मुताबिक, जल्दबाजी में अनेकों ऐसे गरीब वैध वोटर्स के नाम रह जाएंगे, जो काम के लिए बाहर गए हैं। ऐसे में वर्तमान समय सीमा को बढ़ाकर उचित समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने लिखा कि चुनाव आयोग का निर्देश है कि क्रिमनल रिकॉर्ड वाले प्रत्याशियों को हलफनामे में इसका पूरा ब्योरा देना होगा। ऐसे में औपचारिकताओं की जिम्मेदारी पार्टी के बजाय संबंधित प्रत्याशी पर डालनी चाहिए और तथ्य छिपाने की स्थिति में कानूनी जवाबदेही और जिम्मेदारी भी उसकी ही होनी चाहिए।
बसपा प्रमुख ने आगे लिखा कि ईवीएम पर उठ रहे सवालों के चलते अब विश्वास पैदा करने के लिए ईवीएम द्वारा वोट डलवाने की जगह पुनः बैलेट पेपर से ही वोट डलवाने की प्रक्रिया लागू की जाए। अगर ऐसा अभी नहीं हो सकता तो कम से कम वीवीपैट के डब्बे में जो वोट डालते समय पर्ची गिरती है, उन सभी पर्चियों की गिनती सभी बूथों में करके ईवीएम के वोटों से मिलान किया जाए।
