श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद:पक्षकार बनना चाहते हैं पुरोहित, चतुर्वेदी और हिंदू महासभा

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(www.arya-tv.com)श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग को लेकर श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से वादी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री एवं अन्य की ओर से जिला जज यशवंत मिश्रा की अदालत में की गई अपील पर रिवीजन याचिका के तौर पर सुनवाई शुरू हो गई। इस वाद में पक्षकार बनने को कोर्ट में कई लोगों द्वारा आवेदन लगाया गया था, इस पर गुरुवार को सुनवाई हुई। पक्षकार बनने को लगाई गई 3 अर्जियों पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तीनों को निरस्त कर दिया है। तीनों प्रार्थना पत्र को मेंटेनेबल न होने के कारण न्यायालय ने निरस्त कर दिया है।

मथुरा जिला जज की अदालत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले की सुनवाई की अगली तारीख 22 मार्च 2021 तय की है। अब 22 मार्च को श्रीकृष्ण विराजमान के प्रार्थना पत्र पर रिवीजन के तौर पर सुनवाई होगी। वादी पक्ष के अधिवक्ता हरी शंकर जैन ने बताया कि कुछ पक्षकारों द्वारा अर्जी लगाई गई थी कि मामले में उन्हें भी सुना जाए। उन्होंने बताया कि इनमें से एक पक्षकार जो कांग्रेस के लीडर हैं उनके द्वारा राजनीतिक कारणों से एप्लीकेशन लगाई गई थी।

जैन ने बताया कि उनका उद्देश्य था कि कांग्रेस के इशारे पर इस केस का विरोध किया जाए। कोर्ट में इस पर बहस हुई और यह बात सामने आई कि रिवीजन में इस तरह की अर्जी नहीं लग सकती। उन्होंने बताया कि आज 3 अर्जी जो तीर्थ पुरोहित महासभा, चतुर्वेदी महासभा और हिंदू महासभा की थी पर कोर्ट में सुनवाई हुई, जिस पर कोर्ट ने तीनों प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया है।

समझौते को निरस्त करने की मांग

याचिका में 12 अक्टूबर 1968 को श्री कृष्ण जन्म सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह के बीच समझौते का जिक्र करते हुए वाद संख्या 43/1967 में दाखिल समझौते को विधिक अस्तित्वहीन बताया गया है। सात जनवरी को बहस के दौरान शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के सचिव तनवीर अहमद की ओर से प्रार्थना पत्र देकर कहा गया था कि वादी का दावा विधि सम्मत नहीं है और इस मामले को पंजीकृत न किया जाए।

इसका पैरोकार हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन व प्रतिवादी संख्या 3 कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिवक्ता महेश चंद्र चतुर्वेदी व चौथे प्रतिवादी मुकेश खंडेलवाल, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्था के वकील ने विरोध किया था। वादियों का दावा है कि ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बनी है।

सिविल जज के यहां से खारिज हुई थी याचिका

दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में श्रीकृष्ण विराजमान व लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री समेत 8 वादियों ने 25 सितंबर 2020 को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया था। यहां से 30 सितंबर को वाद खारिज होने के बाद वादी पक्ष ने जिला अदालत की शरण ली थी। इसमें मस्जिद की पूरी 13.37 एकड़ जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की गई है।