मोदी की ‘मन की बात’ में खिलौनों का जिक्र:देश में 80% खिलौने चीन से आते हैं

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  • मुकेश अम्बानी के खिलौनों की दुनिया में आते ही व्यापार से जुड़े कानून ठीक वैसे ही बदलने लगे, जैसे टेलीकॉम में उनके आने से बदले थे
  • जीएसटी ने खिलौनों पर लगने वाले टैक्स को 5% से बढ़ाकर 12% और इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों में तो 18% तक कर दिया, फिर इंपोर्ट ड्यूटी दो सौ पर्सेंट बढ़ा दी गई

(www.arya-tv.com)दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर सड़क किनारे कुछ झुग्गियां नजर आती हैं। घुमंतू जनजाति के करीब दो दर्जन परिवार इन झुग्गियों में रहते हैं। महेंद्र और उनका परिवार भी इनमें से एक है। ये सभी लोग खिलौने बेचने का काम करते हैं। पास में ही बना एक ट्रैफिक सिग्नल इन लोगों की कर्मभूमि है।

सिग्नल पर लगी जो बत्ती लाल होते ही ट्रैफिक को रुकने का इशारा देती है, वही लाल बत्ती इन लोगों के लिए काम शुरू करने का इशारा होती है। रेड सिग्नल पर जितनी देर गाड़ियां रुकती हैं, उतना ही समय महेंद्र और उनके परिवार को मिलता है कि वे गाड़ी में बैठे लोगों को खिलौने खरीदने को मना सकें।

महेंद्र का छह साल का बेटा, जिसकी खुद की उम्र खिलौनों से खेलने की है, वह भी तपती धूप में नंगे पैर गाड़ियों के पीछे दौड़ता हुआ खिलौने बेचने में अपने पिता की मदद करता है। इन खिलौनों की बिक्री ही महेंद्र के परिवार को आजीविका देती है और आत्मनिर्भर बनाती है।

लेकिन, ये वो खिलौने नहीं हैं जिनसे देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कही है। बल्कि ये चीन से आने वाले वे खिलौने हैं जिनका भारतीय बाजार में जबरदस्त दबदबा है।

महेंद्र नहीं जानते कि जो खिलौने वो बेचते हैं, उनका उत्पादन कहां होता है। उन्हें नहीं मालूम कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में क्या कहा है। वे ये भी नहीं जानते कि ‘मन की बात’ जैसा कोई रेडियो कार्यक्रम भी है या आत्मनिर्भर भारत जैसी कोई योजना भी। वे सिर्फ इतना जानते हैं कि ये खिलौने पुरानी दिल्ली के सदर बाजार में थोक के भाव मिलते हैं और इन्हें सड़क पर बेचने से उनके परिवार का पेट भर जाता है।

दिल्ली का सदर बाजार एशिया के सबसे बड़े थोक बाजारों में शामिल है। इसी बाजार का तेलीवाड़ा इलाका खिलौनों के थोक व्यापार के लिए मशहूर है। यहां सिर्फ खिलौनों के थोक विक्रेता ही नहीं बल्कि कई उत्पादक और इंपोर्टर भी हैं, जिनसे खिलौने खरीदने के लिए देश के कोने-कोने से व्यापारी यहां पहुंचते हैं।

इनमें बड़े दुकानदार भी होते हैं और महेंद्र जैसे छोटे-छोटे फेरी वाले भी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के हालिया एपिसोड में भारतीय खिलौनों को बढ़ावा देने की जो बात कही है, उसकी जानकारी महेंद्र जैसे लोगों को भले ही न हो लेकिन सदर बाजार के व्यापारियों के माथे पर इससे बल पड़ने लगे हैं।

वह इसलिए कि भारत में खिलौनों का जो बाजार है, उसमें करीब 80 प्रतिशत की हिस्सेदारी चीन से आयात होने वाले खिलौनों की ही है। बीते कई सालों से सदर बाजार में खिलौनों का थोक व्यापार करने वाले पुनीत सूरी कहते हैं, ‘भारतीय खिलौनों का फ़िलहाल चीन के खिलौनों से कोई मुकाबला ही नहीं है। चीनी खिलौने क्वालिटी में हमारे खिलौनों से कहीं ज़्यादा बेहतर हैं और दाम में कहीं कम। वैसे खिलौने अगर भारत में बनने लगे तो हमें तो ख़ुशी ही होगी भारतीय माल बेचने में।’