महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाके के मामले में NIA की विशेष अदालत ने 17 साल बाद बड़ा फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने इस केस में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत 7 लोगों को बरी कर दिया है.
कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट के पीड़ितों मृतकों के परिजनों को दो लाख देने के भी आदेश दिए हैं. घायलों को 50 हजार रुपये देने को कहा है.
यह धमाका रमजान के पवित्र महीने और नवरात्रि से ठीक पहले 29 सितंबर 2008 को हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई और अंतिम दलीलें पूरी करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. एक लाख से ज्यादा पन्नों के सबूत और दस्तावेज होने के कारण फैसला सुनाने के लिए कोर्ट के द्वारा इतना समय लिया गया था.
2008 मालेगांव विस्फोट केस
इस मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र एटीएस करती है, लेकिन 2011 में जांच की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी जाती है. करीब 5 साल की जांच के बाद 2016 में NIA एक चार्जशीट दाखिल करती है, जिसमें अपर्याप्त सबूतों के आधार पर कुछ आरोपियों को राहत दी जाती है. लंबी सुनवाई और कई गवाहों के बयानों के बाद 19 अप्रैल 2025 को अदालत अंतिम दलीलें पूरी कर लेती है और फैसला सुरक्षित रखती है. अंततः आज यानी 31 जुलाई 2025 को विशेष एनआईए कोर्ट इस बहुचर्चित मामले में फैसला सुनाती है और दोषियों को घोषित करती है जिसमें प्रज्ञा ठाकुर को दोषी करार दिया जाता है.