(www.arya-tv.com) चार साल पहले उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को कमरे बंद कर जलाकर मारने वाले हत्यारे को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. जिला जज सुधीर कुमार ने दोषी मुरारी कश्यप को मौत की सजा सुनाते हुए कहा कि इसका कृत्या राक्षसी है. ऐसे व्यक्ति को समाज में जीने का कोई अधिकार नहीं है. जिला जज ने अपने आदेश में लिखा कि दोषी मुरारी को अंतिम सांस तक फांसी पर लटकाया जाए. मौत की सजा सुनते ही मुरारी अपना सिर पकड़कर बैठ गया.
दरअसल, पूरा मामला मैनपुर के माधौनगर खरपरी का है. 2020 में होली के दिन जगदीश प्रजापति और मुरारी कश्यप के बीच डीजे पर डांस करने को लेकर विवाद हुआ था. हालांकि उस समय गांव वालों ने मामला शांत करवा दिया। लेकिन मुरारी बार-बार जगदीश प्रजापति के परिवार को जान से मारने की धमकी देता रहा. इसके बाद 18 जून 2020 की राटा 12 बजे जब जगदीश प्रजापति के भाई रामबहादु , उनकी पत्नी रलादेवी, पुत्री संध्या उर्फ रोहिनी, शिखा और पौत्र रिषी कमरे में सो रहे थे तो मुरारी ने बाहर से कुण्डी बंद कर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी. इस जघन्य वारदात में सभी की मौत हो गई.
दोषी को फांसी की सजा दिया जाना न्यायसंगत
इस मामले में जगदीश की तहरीर पर पुलिस ने मुरारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इसके बाद मामले की विवेचना कर कोर्ट में चार्जशीट फाइल कर दी गई. 9 अगस्त को जिला जज सुधीर कुमार ने मुरारी को इस हत्याकांड का दोषी माना था. मंगलवार को सजा पर अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की तरफ से बहस हुई. जिसके बाद जज ने अपना फैसला सुनाया. जिल जज ने मुरारी के इस कृत्य को राक्षसी बताया और कहा कि ऐसे व्यक्ति को समाज में जीने का कोई अधिकार नहीं है. आदेश में कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कि दोषी एक संवेदनहीन व्यक्ति है और उसमे मानव के लिए कोई दयाभाव नहीं है. इसलिए दोषी को फांसी की सजा दिया जाना न्यायसंगत है.