‘बॉस’ ही रहेंगे DGP… यूपी में नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर मचा ‘सियासी गदर’, योगी सरकार के फैसले पर अखिलेश ने क्यों कसा तंज

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(www.arya-tv.comलखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने डीजीपी पद पर तैनाती के लिए नई नियमावली बना दी है. इस प्रत्सव पर सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुहर भी लग गई. इसके लागू होते ही राज्य सरकार अपने स्तर से ही डीजीपी की तैनाती कर सकेगी. इससे पहले राज्य सरकार नामों का पैनल यूपीएससी को भेजती थी, जहां से मुहर लगती थी. हालांकि योगी सरकार के इस फैसले पर सियासत के साथ ही पुलिस महकमे में भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं.

दरअसल, योगी सरकार के इस प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने तंज कस्ते हिये सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा, “सुना है किसी बड़े अधिकारी को स्थायी पद देने और और उसका कार्यकाल 2 साल बढ़ाने की व्यवस्था बनायी जा रही है… सवाल ये है कि व्यवस्था बनानेवाले ख़ुद 2 साल रहेंगे या नहीं. कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है. दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0.

कौन हैं ‘बॉस’, जिनकी हो रही चर्चा 
बता दें कि पुलिस महकमे में भी इस नए नियमावली को लेकर चर्चाएं चल रही हैं. विभाग के आला अफसर भी दबे जुबान में कह रहे हैं कि ‘बॉस’ के लिए ही नई व्यवस्था की जा रही है. जिन ‘बॉस’ को लेकर चर्चा हो रही है वे कोई और नहीं बल्कि मौजूद एक्टिंग डीजीपी प्रशांत कुमार हैं. प्रशांत कुमार योगी सरकार के संकटमोचक माने जाते हैं. प्रशांत कुमार का कार्यकाल मई 2025 तक है. लिहाजा कहा जा रहा है कि उनकी स्थाई नियुक्ति हो सकती है. साथ ही उन्हें सेवा विस्तार भी मिल सकता है

अब कैसे होगी डीजीपी की नियुक्ति
नई नियमावली के तहत पे मैट्रिक्स 16 लेवल के सभी अधिकारी डीजीपी बनने के लिए अब क्वालीफाई कर सकेंगे, जिनकी छह महीने की नौकरी बची हो. आमतौर पर डीजी स्तर के सभी अधिकारी इस लेवल पर होते हैं. अभी तक यूपीएससी गाइडलाइंस के तहत डीजी स्तर के सभी अफसरों का नाम प्रदेश सरकार यूपीएससी को भेजती है, यूपीएससी इनमें से सीनियर मोस्ट तीन अफसरों के नाम प्रदेश सरकार को वापस भेजती थी. इनमें से ही किसी एक को ही विजिलेंस क्लियरेंस के बाद डीजीपी बनाना होता है. सितंबर 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एक पुलिस एक्ट बनाने के लिए कहा था, जिससे डीजीपी के चयन की व्यवस्था को दबाव से मुक्त रखा जाए, लेकिन तब से अब तक चयन के लिए यूपी ने कोई अलग व्यवस्था नहीं की थी. अब यूपी में डीजीपी के चयन की अपनी नियमावली कैबिनेट से पास करके बना ली है.

2022 से नहीं हुई स्थायी DGP की तैनाती
11 मई 2022 को मुकुल गोयल के हटाए जाने के बाद से ही यूपी में कार्यवाहक डीजीपी से काम चलाया जा रहा है. मुकुल गोयल के बाद डॉक्टर डीएस चौहान, आरके विश्वकर्मा, विजय कुमार और वर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार को भी कार्यवाहक डीजीपी के रूप में तैनाती दी गई है. मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से हटाने के बाद यूपीएससी को नए डीजीपी के चयन के लिए यूपी सरकार ने पैनल नहीं भेजा.