यूपी उपचुनाव में इंडिया गठबंधन में दरार! वजह आ गई सामने, कांग्रेस की सभी सीटों पर नजर

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(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव की तैयारियां राजनीतिक दलों ने तेज कर दी है. लोकसभा चुनाव के बाद होने वाले उपचुनाव में सपा-कांग्रेस ग़ठबंधन की गुंजाइश कम होती दिख रही है.  लिहाजा, कांग्रेस ने सभी दस सीटों पर अपने समीकरण फिट करने शुरू कर दिए हैं. वहीं तीन विधानसभा सीटें को वह अपने लिए सबसे ज्यादा मुफीद मान रही है.

दरअसल, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर चुनाव के बाद यूपी में उपचुनाव की प्रक्रिया तेज पकड़ेगी. यूपी की करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, फूलपुर, मंझवा और सीसामऊ पर उपचुनाव होना है. इन सीटों में पहले 5 समाजवादी पार्टी के पास थीं. इसके अलावा रालोद-निषाद पार्टी की एक-एक सीट पर जीती थी, जबकि बीजेपी ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. मगर, लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखते हुए बीजेपी इस बार चौकन्ना है. वह सदस्यता अभियान के बहाने उपचुनाव की जमीन मजबूत कर रही है. उधर, सपा ने भी युवाओं के साथ-साथ वरिष्ठ पदाधिकारियों की टीमें मैदान में उतार दिया हैं. इधर, लोकसभा चुनाव में सहयोगी रही कांग्रेस को सपा से गठबन्धन को लेकर कोई अभी तक रिस्पांस नहीं मिला. लिहाजा, कांग्रेस ने भी उपचुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं.

वॉर रूम तक के प्रभारी तैनात
कांग्रेस ने अपने दोनों विधायक और 6 सांसदों को मैदान में उतार दिया है. उन्हें  चुनाव वाली सीटों का प्रभारी बनाया है. साथ ही राष्ट्रीय टीम भी चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है. उधर, बुधवार को कांग्रेस ने वॉर रूम के प्रभारियों की घोषणा भी कर दी है. कांग्रेस ने सभी 10 सीटों पर वॉर रूम प्रभारी बनाए हैं. कांग्रेस ने तैयारी सभी सीटों पर शुरू कर दी है. मगर, वह मीरापुर, फूलपुर, मंझवा सीट को अपने लिए ज्यादा मुफीद मान रही है.

गठबंधन में दरार की वजह
सपा के सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस द्वारा हरियाणा में सीट शेयरिंग न करने से शीर्ष नेतृत्व को अखर गया है. कांग्रेस के कई नेताओं ने ग़ठबंधन चर्चा में सपा का हरियाणा में जनाधार होने  को ही खारिज कर दिया. यही नहीं ऐनवक्त तक तस्वीर भी साफ नहीं की. इससे पहले मध्यप्रदेश में यही विश्वासघात हुआ था.  लिहाजा, सपा नेताओं का कहना कि जिस तरह से हरियाणा में सपा का जनाधार नहीं है तो यूपी में कांग्रेस का कोई खास वजूद नहीं है. वहीं सपा के कई वरिष्ठ नेता विधानसभा चुनाव में कांग्रेस संग गठबंधन को जायज नहीं ठहरा है. ऐसे में उपचुनाव में दोनों दलों में गठबन्धन की उम्मीद कम है.