यूपी में ओवसी-चंद्रशेखर का नया मोर्चा बढ़ाएगा सपा-बसपा की टेंशन, बीजेपी और कांग्रेस के लिए भी खतरे की घंटी

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(www.arya-tv.com)  लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में NDA और इंडिया गठबंधन के बीच तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट ने प्रदेश का सियासी माहौल दिलचस्प बना दिया है. चंद्रशेखर आजाद और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आगामी विधानसभा उपचुनाव में मतदाताओं के सामने एक नया विकल्प देने जा रही है. आजाद समाज पार्टी और AIMIM के बीच गठबंधन की बात चल रही है.

अगर यह गठबंधन धरातल पर उतरता है तो उपचुनाव में समीकरण लोकसभा चुनाव से अलग होने वाले हैं. ओवैसी-चंद्रशेखर का यदि तीसरा मोर्चा राज्य में पनपता है तो सपा-बसपा की टेंशन बढ़ना तय है. बीजेपी और कांग्रेस के लिए भी यह गठबंधन मुश्किलें पैदा कर सकता है. दरअसल, चंद्रशेखर आजाद और ओवैसी दलित-मुस्लिम को साधने की जुगत लेकर मैदान में उतरने वाले है और इस मोर्चे की नजर सामान्य व ओबीसी वोटों पर भी होगी.

सपा-बसपा को ज्यादा टेंशन
आजाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील चित्तौढ़ के मुताबिक पार्टी एआईएमआईएम के साथ गठबंधन कर सकती है. इसके लिए दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व की पहले राउंड की वार्ता हो चुकी है. अब प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों की मीटिंग में सीटवार मंथन होगा. सबकुछ सही रहा तो दोनों दल मिलकर उपचुनाव की 10 सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे. वहीं इस नए मोर्चे को लेकर राजनीतिक कयासों का बाजार गर्म हो गया है.  राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि चंद्रशेखर आजाद और ओवैसी के बीच गठबंधन फाइनल होता है तो उपचुनाव में सबसे ज्यादा प्रभाव सपा और बसपा पर पड़ेगा. वहीं कांग्रेस को यदि सपा का सहारा न मिला तो उसकी स्थिति पूर्व के चुनावों वाली होने के आसार हैं.

क्या है यूपी का जातीय समीकरण

उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 17-19 फीसद सवर्ण वोटर रहते हैं. यह बीजेपी का कोर वोट बैंक माने जाते हैं. इनमें ब्राह्मण 10 फीसद, राजपूत फीसद, वैश्य 2 फीसद, भूमिहार 2 फीसद और अन्य जातियां शामिल हैं. यूपी में 40-43 फीसद से ज्यादा पिछड़ी जातियां हैं, जिनका झुकाव जिस तरफ़ होता है उसकी जीत तय मानी जाती है. पिछले दो चुनाव में बड़ी संख्या में पिछड़ी जातियों में गैर यादव ने बीजेपी के पक्ष में वोट दिया था. इनमें यादव पूरी तरह से समाजवादी पार्टी के साथ दिखाई दिया. यूपी में 40-43 फीसदी ओबीसी वोटर्स में देखें तो इनमें 10 फीसदी यादव, कुर्मी–5, मौर्या– 5 , जाट– 4 , राजभर– 4 फीसदी, लोधी– 3 फीसदी, गुर्जर– 2 फीसदी, निषाद, केवट, मल्लाह– 4 फीसदी और अन्य 6 फीसदी जातियां शामिल हैं. इनके अलावा दलित-मुस्लिम की बात करें तो दलित वोटर्स की संख्या भी 21 फीसदी है. इनमें जाटव–11 फीसदी, पासी– 3.5 फीसदी, कोरी– 1 फीसदी, धोबी– 1 फीसदी, खटिक, धनगर, बाल्मिकी और अन्य– 4.5 फीसदी जातियां हैं. यही नहीं मुस्लिम मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं और कई सीटों पर अहम भूमिका निभाते हैं. यूपी में करीब 19 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं. मुस्लिम वोटरों पर सपा और दलित वोटरों पर ज्यादातर पर बसपा का प्रभाव है.

चंद्रशेखर और ओवैसी का है बड़ा प्लान
जानकारों का मानना है कि चंद्रशेखर आजाद और ओवैसी एक बड़ी प्लानिंग के तहत साथ आने की जुगत में है जिसकी प्रयोगशाला उपचुनाव होगा. कहा जा रहा है कि दलित और मुस्लिम गठजोड़ के इतर यह गठबंधन ओबीसी और जनरल वर्ग को भी जोड़ने की रणनीति पर काम कर रहा है. इस स्थिति में यूपी की 300 से ज्यादा ऐसी सीट हैं जहां सियासी समीकरण प्रभावित हो सकते हैं और चुनावी कहानी बदल सकती है.