उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नगर निगम ने कई सेवाओं, व्यवसाय पर शुल्क बढ़ा दिया है. मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह ने यह जानकारी दी. अब नगर पार्किंग, सिनेमा और क्लीनिक पर अधिक लाइसेंस शुल्क लेगा. नर्सिंग होम का लाइसेंस शुल्क नगर निगम ने दोगुना कर दिया है.
50 बेड तक के नर्सिंग होम का शुल्क 13 हज़ार हुआ. पैथोलॉजी का शुल्क 5000 से बढ़कर 10000 तय किया. इसके अलावा लखनऊ में सिनेमा घरों का भी लाइसेंस टैक्स बढ़ाया गया है. मल्टीप्लेक्स संचालकों को प्रति शो 300 शुल्क देना होगा. सिंगल स्क्रीन संचालकों को प्रति शो 100 शुल्क देना होगा.
शराब दुकानों का लाइसेंस शुल्क बढ़ा
शराब की दुकानों के लाइसेंस शुल्क में भी बढ़ोतरी की गई है. मॉडल शॉप का लाइसेंस शुल्क 60 हज़ार से 85 हज़ार किया. जबकि कंपोजिस्ट दुकान (अंग्रेजी प्लस बीयर) का शुल्क बढ़ाकर 75 हजार कर दिया गया है. पहले बीयर की दुकान का शुल्क 30 हजार रुपये था.
ई-रिक्शा चालकों को देना होगा शुल्क
नगर निगम की बैठक में तय किया गया है कि ई-रिक्शा, ऑटो टेंपो चालको व मालिकों लाइसेंस शुल्क देना होगा. जानकारी के मुताबिक, ई-रिक्शा-टेंपो चालकों को 800 लाइसेंस शुल्क देना होगा. इसके अलावा चालक 200 रुपये वार्षिक देना पड़ेगा. वहीं किराये पर वाहन देने वाले मालिकों को 1000 रुपये सलाना शुल्क देना होगा.
सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए खर्च होगा इतना पैसा
नगर निगम की बैठक में यह भी तय किया गया है कि जलकर से पानी का टैंकर लेने पर अतिरिक्त खर्च करना होगा. बताया गया कि एक घंटे के टैंकर का 500 रुपये और 24 घंटे के लिए 1000 रुपये पैसे खर्च करने पड़ेंगे. इसके अलावा सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए दूरी के हिसाब से 1200 से 1600 रुपये खर्च करने होंगे.
एक महीने में हटाई जाएंगी अवैध होर्डिंग्स
नगर निगम की बैठक में अवैध होर्डिंग्स का मुद्दा भी गरमाया रहा है पार्षदों ने अधिकारियों पर विज्ञापन एजेंसियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है. पार्षदों ने कहा है कि इससे नगर निगम भारी आर्थिक क्षति हो रही है. पार्षद शैलेंद्र वर्मा ने फोटो और सबूतों के साथ इस मामले की शिकायत करने की बात कही है. पार्षदों के हंगामे के बीच एक महीने के भीतर अवैध होर्डिंग्स हटाने पर फैसला हुआ है.