महज 31 घंटे सीएम रहने वाले जगदंबिका पाल, वफ्फ बोर्ड बिल पर करेंगे विचार, इन्‍हीं के विरोध में अटल जी ने की थी भूख हड़ताल

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(www.arya-tv.com)  वफ्फ बोर्ड बिल पर विचार करने के लिए जेपीसी का गठन हो चुका है. इसकी अध्यक्षता जगदंबिका पाल को सौंपी गई है. बीजेपी सांसद बनने से पहले जगदंबिका पाल उत्तर प्रदेश के विधायक भी रह चुके हैं. बस्ती के डुमरियागंज क्षेत्र से लगातार चौथी बार सांसद बनने वाले पाल ने 1993 से 2007 तक लगतार तीन बार बस्ती का राज्य विधानसभा में प्रतिनिधित्व भी किया है. विधायक रहते हुए वे कल्याण सिंह की साझा सरकार में मंत्री थे. इस सरकार को मायावती का समर्थन था. 21 फरवरी 1998 को मायावती ने कल्याण सिंह सरकार गिराने की घोषणा की और जगदंबिका पाल को समर्थन देकर मुख्यमंत्री चुनकर सरकार बनाने का दावा किया था.

उस वक्त पाल ने तिवारी कांग्रेस से अलग होकर लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया था. उनके साथ नरेश अग्रवाल और राजीव शुक्ला ने मिलकर इसका गठन किया था. मायावती के सरकार गिराने की घोषणा के बाद राज्य विधानसभा में बहुत हंगामा हुआ था. कांग्रेस के बहुत सारे विधायक अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए. एक दूसरे पर माइक फेंककर प्रहार भी किए गए. इन सब मसलों को गंभीरता से लेते हुए राज्यपाल रोमेश भंडारी ने राज्य सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश भी की थी, लेकिन राष्ट्रपति और गृहमंत्री इससे सहमत नहीं थे.

रात 10 बजे हुई शपथ
बहरहाल, देर शाम रोमेश भंडारी और मायावती के बीच बैठक हुई और राज्यपाल ने सबको चौंकाते हुए कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर रात दस बजे जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. उस समय बीजेपी के दिग्गज अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ में ही थे. उन्होंने राज्यपाल के फैसले के विरुद्ध राजकीय अतिथि गृह में भूख हड़ताल करने की घोषणा कर दी.

मामला हाईकोर्ट गया
इधर कल्याण सरकार के एक मंत्री नरेंद्र सिंह गौड़ ने हाईकोर्ट में राज्यपाल के आदेश के विरुद्ध अपील की. उनकी दलील थी कि कल्याण सरकार को सदन में बहुमत साबित करने का मौका दिए बगैर गिराया गया. ये गलत है. कोर्ट ने कल्याण सरकार के हक में फैसला दिनहीं या. साथ ही ये भी कहा कि अगले तीन दिनों में सदन में बहुमत साबित करें. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध पाल और उनके सहयोगी सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन वहां भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली.