लखनऊ(राहुल तिवारी)। राजधानी में लगातार कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने का दावा करने वाली पुलिस के अधिकारियों की लगातार पोल खुलती जा रही है। हैरानी की बात तो तब हुई जब नाका कोतवाली से लगभग एक किलोमीटर दूर बेखौफ बदमाशों ने हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी को मौत के घाट उतार दिया। वह अलग बात है कि 22 घंटों के अंदर पुलिस ने वारदात का खुलासा कर करते हुए 3 प्रमुख अपराधियों को अरेस्ट कर लिया है। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि अपराधी नाका कोतवाली के सामने से या आस पास से ही गुजरे होंगे।
उस वक्त पिकेट ड्यूटी वाले कहां था। क्यों इतनी देरी से पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। सितंबर महीना हत्याओं व खूनी खेलों का रहा और अक्टूबर की शुरुआत एक बार फिर हत्या से शुरू हुई, लेकिन शायद यह हत्या किसी मामूली व्यक्ति की नहीं बल्कि हिन्दू वादी के कट्टर नेता की थी। लखनऊ में ताबड़तोड़ हत्याओं के खूनी खेल के बावजूद अभी तक न तो एसएसपी लखनऊ पर ही कार्यवाही की गई और न तो कोतवाल नाका पर और न ही कमलेश तिवारी की सुरक्षा में लगे सुरक्षा गार्डों पर।
आखिर एसएसपी लखनऊ में ऐसी कौन सी ख़ास बात है जो प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार राजधानी में ताबड़तोड़ हत्याओं के बाद भी राजधानी के एसएसपी पर कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं और राजधानी में लगातार कानून व्यवस्था की बेखौफ बदमाश धज्जियां उड़ा रहें हैं।
एक के बाद एक हत्या होना बड़ी शर्म की बात है और पुलिस के किसी जिम्मेदार पर कार्रवाई न करना उससे बड़ी शर्म की बात है। आज राजधानी में लोग अपने घरों से निकलने में डर रहे हैं प्रदेश में कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने का दावा करके सत्ता में आने वाली भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज उत्तर प्रदेश हत्याओं का प्रदेश बनता जा रहा है? अब तो स्वयं भारत की सर्वोच्च न्याय पालिका सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है लेकिन उसके बावजूद राजधानी के एसएसपी कलानिधि नैथानी के ऊपर मेहरबानी यह कौन सी नीति है।
