Arya TV -Latest News in Hindi|Latest News Lucknow in Hindi|Lucknow online hindi news| live hindi news| लखनऊ न्यूज़|, लाइव हिंदी समाचार, हिन्दी समाचार, लखनऊ न्यूज़ हिंदी, हिंदी लखनऊ न्यू लोकसभा चुनाव: कर्नाटक, तेलंगाना तो ठीक क्या इस बार केरल, तमिलनाडु और आंध्र में भी खुलेगा बीजेपी का खाता? – Arya TV
Skip to content
Tuesday, December 23, 2025
Arya TV

Arya TV

arya tv banner
  • International
  • National
  • UP
    • Agra Zone
    • Bareilly Zone
    • Gorakhpur Zone
    • Kanpur Zone
    • Meerut Zone
    • Prayagraj Zone
    • Varanasi Zone
  • Lucknow
  • Business
  • Entertainment
  • Technology
  • Education
  • Game
  • Health

लोकसभा चुनाव: कर्नाटक, तेलंगाना तो ठीक क्या इस बार केरल, तमिलनाडु और आंध्र में भी खुलेगा बीजेपी का खाता?

# ## National
2024-01-102024-01-10 Sonam Rawat

(www.arya-tv.com) कर्नाटक और तेलंगाना में पिछले वर्ष के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की बड़ी जीत और भाजपा की हिंदी हार्टलैंड के राज्यों में एकतरफा जीत से लोकसभा चुनावों से पहले तथाकथित ‘उत्तर-दक्षिण राजनीतिक विभाजन’ की चर्चा हो रही है।

क्या यह धारणा वास्तविक है या यह सिर्फ हताश लोगों का गढ़ा हुआ फलसफा है? अगर भाजपा का विरोध नहीं भी मानें तो दक्षिणी राज्यों के विधानसभा चुनावों में विविध रुझान ‘विभाजन’ से कहीं अधिक चुनावी असमानता की झांकी पेश करता है।

ऐसे समय में जब भाजपा और उसकी हिंदुत्व की राजनीति ने अन्य जगहों पर नई सीमाएं पार की हैं तब दक्षिण की सियासी सोच काफी मायने रखती है। अब सवाल यह है कि क्या भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों में दक्षिण के पॉलिटिकल पासवर्ड को डिकोड कर सकती है या क्या विंध्याचल के परे की भूमि भगवा अभियानों के रथ को रोकती रहेंगी?

इस लोकसभा चुनाव में कौन मारेगा दक्षिण की बाजी ?

दक्षिण में 130 लोकसभा सीटें – तमिलनाडु (39), कर्नाटक (28), आंध्र प्रदेश (25), तेलंगाना (17), केरल (20) और पुडुचेरी (1) आने वाले चुनावों में राजनीतिक हस्तियों को लुभाएंगी और उन्हें भड़काएंगी भी।

पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने दक्षिण से 28 लोकसभा सीटें जीती थीं- केरल (15), तमिलनाडु (8), तेलंगाना (3), कर्नाटक (1) और पुडुचेरी (1) – जबकि भाजपा ने 29 सीटें जीती थीं – कर्नाटक (25) और तेलंगाना (4)।

कांग्रेस के लिए अब सुकून की सियासत का क्षेत्र नहीं रहा दक्षिण

दक्षिण का इतिहास कांग्रेस को अंगीकार करने का रहा है। यह परंपरा मोटे तौर पर कांग्रेस के बुरे दौर में भी कायम रहा, जब उत्तर और अन्य हिस्सों ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सरकारों का विरोध किया।

यहां तक कि जब 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस अपनी सबसे निचले स्तर पर आ गई, तब भी दक्षिण ने उसकी लाज बचाई। 2004 में एनडीए से दिल्ली की सत्ता छीनने और 2009 में इसे बरकार रखने के कांग्रेसी अभियानों को भी दक्षिण से भरपूर समर्थन मिला था।

लेकिन कांग्रेस अब दक्षिण को लेकर निश्चिंत नहीं रह सकती क्योंकि अब उसे कई नए और पेचीदा क्षेत्रीय दलों और भाजपा की उभरती चुनौतियों से पार पाना है। हालांकि, कर्नाटक और तेलंगाना की जीत ने पार्टी को बहुत जरूरी सुकून और उम्मीद दी है।

भाजपा के पास दक्षिण का रास्ता चौड़ा करने का मौका

भाजपा को दक्षिण भारत के अधिकांश क्षेत्रों की सियासी फिजां में अपने राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक हिंदुत्व का घोल छिड़क पाना मुश्किल रहा है।

बड़ी बात है कि दक्षिण में आरएसएस का विस्तृत नेटवर्क होने के बावजूद यह स्थिति है। लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के जमीनी स्तर के काम, वाजपेयी सरकारों के आकर्षण और मोदी लहर के दो चुनावी दौरे के बावजूद अधिकांश दक्षिण ने भाजपा का विरोध किया है,

जिससे पता चलता है कि पार्टी के लिए दक्षिण के किले की फतह कितना कठिन टास्क है।लेकिन हाल के वर्षों में देश के बाकी हिस्सों में भगवा लहर के बीच भाजपा ने कर्नाटक को दक्षिण का अपना ठिकाना बनाने में सफलता हासिल कर ली है और तेलंगाना को अपने नए बढ़ते क्षेत्र के रूप में उभारा है।

प्रधानमंत्री मोदी 2024 के लोकसभा चुनावों में दक्षिण की किसी सीट से चुनाव लड़ेंगे या नहीं, यह दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में दबी-छिपी चर्चा का विषय है।

दक्षिण में भाजपा के सामने क्षेत्रीय क्षत्रपों की चुनौती

पिछले कई दशकों में दक्षिण में कई क्षेत्रीय दलों का उभार हुआ है, जिससे चुनावी चर्चा और जटिलता बढ़ गई है। तमिलनाडु तो 57 साल पहले कांग्रेस के शासन को समाप्त करने के बाद से ही द्रविड़ पार्टियों के प्रभाव में है।

आंध्र प्रदेश के विभाजन ने भी राज्य कांग्रेस के पतन की गति तेज कर दी और तेलंगाना में बीआरएस जबकि आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी ने राजनीतिक जमीन हथिया ली।

केरल में कम्युनिस्ट पार्टियों के नेतृत्व वाली एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ ने राजनीति को द्विध्रुवी बनाए रखा है, जहां भाजपा अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है।

कर्नाटक में जनता पार्टी की धारा पारंपरिक रूप से कांग्रेस को चुनौती देती थी। वहां जनता दल की पार्टियों के लगातार टूटने और जेडीएस के घटते प्रभाव से राज्य में अब कांग्रेस बनाम भाजपा का ही चुनावी खेल प्रभावी हो गया है।

कर्नाटक में वापसी करेगी भाजपा?

कर्नाटक में भाजपा की सीटें 2019 के लोकसभा चुनावों में 28 में से 25 तक पहुंच गईं तब कांग्रेस अपने सबसे निचले स्तर (1 सीट) पर फिसल गई थी। अब सभी की निगाहें कांग्रेस पर हैं कि कैसे पार्टी हालिया विधानसभा चुनाव जीत (135 सीटें और 42.88% वोट) का इस्तेमाल लोकसभा चुनावों में अपनी सीटें बढ़ाने के लिए कर सकती है। दूसरी तरफ नजर इस बात पर भी है कि भाजपा का विधानसभा प्रदर्शन (66 सीटें और 36% वोट) लोकसभा के लिहाज से क्या मायने रखते हैं।

कर्नाटक की चुनावी राजनीति अब इसलिए भी ज्यादा दिलचस्प हो गई है क्योंकि विधानसभा चुनाव में हार (19 सीटें और 13.29% वोट) के बाद जेडीएस ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया है। इस गठबंधन के बाद कर्नाटक में पारंपरिक त्रिकोणीय प्रतियोगिता अब सीधे कांग्रेस और भाजपा के बीच द्विध्रुवीय हो गई।

ऐसा माना जाता है कि चार कारक वोटिंग रिजल्ट को प्रभावित कर सकते हैं। पहला, क्या कांग्रेस विधानसभा चुनावों की अपनी सद्भावना बनाए रखेगी? दूसरा, क्या यदियुरप्पा खेमे को कर्नाटक प्रदेश का नेतृत्व वापस देकर भाजपा आलकमान की तरफ से किया गया सुधार का प्रयास पार्टी को एकजुट करेगा या आगे विभाजन ही होगा?

तीसरा, क्या भाजपा-जेडीएस गठबंधन प्रभावशाली लिंगायत-वोक्कालिगा वर्गों को एकजुट करेगा या क्या उनके अंतर्निहित हितों का टकराव इसकी पहुंच को सीमित करेगा? और चौथा, क्या ‘मोदी फैक्टर’ भाजपा को विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद फिर से खड़ा कर सकता है?

तमिलनाडु द्रविड़ द्वंद्व

तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव इस आधार पर होगा कि क्या डीएमके और उसके सहयोगी दल, जिनमें कांग्रेस भी शामिल है, पिछले लोकसभा चुनाव (39 में से 38 सीटें और 53.53% वोट) और 2021 के विधानसभा चुनावों (234 में से 159 सीटें और 45.38% वोट) के शानदार प्रदर्शन को दोहरा सकते हैं।

कहीं एमके स्टालिन सरकार पक्षपात और भ्रष्टाचार के आरोपों के बोझ तले दब जाएगी। उधर, प्रतिद्वंद्वी एआईएडीएमके किसी ‘स्टार’ लीडर के बिना अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई में सत्ता विरोधी लहर का कुछ फायदा उठाने की उम्मीद कर रही है।

भाजपा से हालिया ब्रेक अप (असलियत या बनावटी) डीएमके से अनुमानित 13% ‘अल्पसंख्यक वोट’ के एक हिस्से को दूर करने में एआईएडीएमके की मदद कर सकता है या नहीं, यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा।

तमिलनाडु में भाजपा के लिए नए समीकरण

जबकि डीएमके और एआईएडीएमके के अलग-अलग गठबंधन एक व्यापक सामाजिक संतुलन के साधने की कोशिश करेंगे, लेकिन लोकसभा चुनावों में यह भी साफ हो जाएगा कि क्या भाजपा-हिंदुत्व और तमिलनाडु के बीच भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंध जोड़ने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास, जिनमें ‘काशी तमिल संगमम’ क्या गुल खिलाएंगे।

डीएमके और एआईएडीएमका के टूटे हुए गुटों और कुछ महत्वाकांक्षी फिल्म ‘स्टार्स’ के साथ भाजपा गठजोड़ के प्रयास में है। देखना होगा कि क्या द्रविड़ राजनीति की खाइयों से निपटने के लिए भाजपा को इन प्रयासों से मदद मिलेगी।

आंध्र-तेलंगाना पर कांग्रेस-बीजेपी के दांव

कांग्रेस तेलंगाना में रणनीतिक लाभ और आत्मविश्वास के साथ लोकसभा चुनावों में प्रवेश कर रही है। पार्टी विधानसभा जीत (119 में से 64 सीटें और 39.4% वोट) से आगे बढ़ने की उम्मीद में है।

दिलचस्प बात यह है कि क्या बीआरएस अपनी हार से उबर सकेगी और सत्ता के बिना अस्तित्व बचा सकेगा? सवाल है कि बीआरएस की जमीन कहीं कांग्रेस और भाजपा तो नहीं हड़प लेगी, जैसा कि कर्नाटक में जेडीएस के साथ हो रहा है।

हालांकि भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 17 में से चार सीटें जीतकर तेलंगाना में अपने लिए बड़ी संभावना पैदा की जो हालिया विधानसभा चुनावों में दूर तीसरे स्थान पर रहकर, लेकिन अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (8 सीटें और 13.9% वोट) से मजबूत हुई है।

आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनाव दो क्षेत्रीय दलों वाईएसआरसीपी और टीडीपी के बीच ही रहने की उम्मीद की जा रही है। हालांकि, कांग्रेस को पड़ोसी तेलंगाना और कर्नाटक में शानदार प्रदर्शन और वाईएस शर्मिला के शामिल होने से कुछ गति मिलने की उम्मीद है।

लेकिन, आंध्र प्रदेश में राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य अभी तक दो क्षेत्रीय दलों के लिए अधिक अनुकूल है। हालांकि, इस बात को लेकर कुछ रुचि है कि क्या राज्य कांग्रेस नए दुश्मन वाईएसआरसीपी के खिलाफ पुराने प्रतिद्वंद्वी टीडीपी के साथ गठबंधन करने की कोशिश करेगी या वह आंध्र की चुनावी लड़ाई अकेले लड़ेगी।

भाजपा तो कभी टीडीपी तो कभी वाईएसआरसीपी के साथ मुकाबला होता रहा है। अब परिस्थित यह है कि उसे लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन के लिए इन दोनों प्रतिद्वंद्वियों में किसी एक का चुनाव कर सकती है। अगर चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं हुआ तो चुनाव बाद भी इसकी गुंजाइश रह सकती है।

बीजेपी की तरफ करवट फेरेगा केरल?

सबसे दक्षिणी सिरा केरल, कांग्रेस को सबसे अच्छी उम्मीद देता है। पिछली बार 20 में से 15 लोकसभा सीटें जीतने के बाद इसे उम्मीद है कि 2024 में वो वामपंथियों के आगे अपनी कमजोरी को सबसे निचले स्तर पर ला पाएगी।

कांग्रेस को उम्मीद है कि 44% से अधिक मुस्लिम-ईसाई वर्गों से पुरजोर समर्थन मिलेगा जो पार्टी के परंपरागत समर्थक हैं। हालांकि, मुस्लिम-इसाई मतदाताओं के एक बड़े वर्ग ने 2021 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ को बड़ा झटका देने के लिए वामदल के एलडीएफ का समर्थन किया था।

केरल प्रदेश कांग्रेस इसी वजह से अपने आलाकमान से अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होने का आग्रह कर रही है। यूडीएफ को उम्मीद है कि पिनाराई विजयन सरकार के दूसरे कार्यकाल में हुए विवाद उसे फायदा पहुंचाएंगे।

हालांकि, एलडीएफ मुसलमान मतदाताओं को अपने साथ रखने की भरपूर कोशिश कर रहा है। इस लोकसभा चुनाव में यह भी स्पष्ट होगा कि क्या भाजपा के हिंदू-ईसाई वर्गों को आकर्षित करने के प्रयास उसे केरल में कुछ लोकसभा सीटें दिला पाएंगे।

वायनाड की भूलभुलैया

उत्तरी केरल का वायनाड लोकसभा क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर विशेष रुचि रखता है क्योंकि इसने राहुल गांधी को तब आश्रय दिया था जब उनकी अमेठी सीट भाजपा ने जीत ली थी। क्या गांधी फिर से इस सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ेंगे या वो दक्षिण की किसी अन्य सीट से अपनी जमानत सुनिश्चित करेंगे।

क्या राहुल गांधी यूपी की अमेठी सीट पर वापस आएंगे ताकि वो विपक्ष और भाजपा दोनों को दिखा सकें कि उन्हें अपने ही ‘डरो मत’ के नारे पर कितना विश्वास है? क्या राहुल गांधी भाजपा के साथ लड़ाई में दूसरों का नेतृत्व करने की हिम्मत दिखाएंगे?

Tagged a little account achieved electoral victory Andhra Pradesh bjp elections expectations Kerala lead lok sabha Lok Sabha Elections: Karnataka more north india one-sided path quite narrow South Tamil Nadu and Andhra Tamil Nadu party telangana the election chariot the gate of the south what exactly will BJP open its account? Bharatiya Janata Party (BJP)

Post navigation

यूपी में आज से ठंड में होने वाला है इजाफा, 3 डिग्री सेल्सियस तक गिरेगा तापमान
प्रोफेसर, राजनेता, पत्रकार और वकील… बिलकिस बानो को इंसाफ दिलाने वालीं ये हैं वे चार महिलाएं

Related Posts

बर्दाश्त नहीं विदेशी संस्कृति के आयोजन… हरिद्वार में क्रिसमस सेलिब्रेशन पर हिन्दू संगठनों का विरोध

2025-12-23 Dr. Anil Tripathi

ठंड में भी धधके उत्तराखंड के जंगल, आग से वन सम्पदा को भारी क्षति

2025-12-23 Dr. Anil Tripathi

भदोही में अदालत से इनामी बदमाश फरार, घायल पैर के बावजूद पुलिस को चकमा देकर भागा, 3 पुलिसवाले सस्पेंड

2025-12-23 Dr. Anil Tripathi

Latest News

  • 2 वर्षीय पत्रकारिता के डिग्री कोर्स M.A. IN JOURNALISM AND MASS COMMUNICATION (MJMC) में सीधे प्रवेश लखनऊ में

    2025-08-252025-08-25 Dr. Ajay Shukla
  • Journalism में admission लेना हो तो Lucknow के इस Media College में ही प्रवेश लें

    2023-07-032023-07-03 Dr. Ajay Shukla
  • बर्दाश्त नहीं विदेशी संस्कृति के आयोजन… हरिद्वार में क्रिसमस सेलिब्रेशन पर हिन्दू संगठनों का विरोध

    2025-12-23 Dr. Anil Tripathi
  • सेवा और संवेदना की मिसाल: जननायक सुजीत पाण्डेय मेमोरियल ट्रस्ट ने दिव्यांग-वृद्धजनों को दिए सहायक उपकरण

    2025-12-23 Dr. Ajay Shukla
  • ठंड में भी धधके उत्तराखंड के जंगल, आग से वन सम्पदा को भारी क्षति

    2025-12-23 Dr. Anil Tripathi
  • बीएचयू के प्रोफेसर आशीष त्रिपाठी को मिलेगा 2026 डॉ. नामवर सिंह राष्ट्रीय सम्मान

    2025-12-23 Dr. Ajay Shukla
  • भदोही में अदालत से इनामी बदमाश फरार, घायल पैर के बावजूद पुलिस को चकमा देकर भागा, 3 पुलिसवाले सस्पेंड

    2025-12-23 Dr. Anil Tripathi
  • नए मेडिकल कॉलेजों के लिए योगी सरकार का मेगा बजट: चिकित्सा शिक्षा-प्रशिक्षण के लिए 423.80 करोड़, सेवाओं की बढ़ेगी गुणवत्ता

    2025-12-23 Dr. Anil Tripathi
  • आनंद द्विवेदी ने लखनऊ में संभावित घुसपैठियों के 65 चिन्हित झुग्गी झोपड़ी बस्तियों की सूची दी

    2025-12-232025-12-23 Dr. Ajay Shukla
  • कुलपति प्रो. संजय सिंह ने ‘भारत बौद्धिक्स’ योजना के अंतर्गत पुस्तकों का किया विमोचन

    2025-12-23 Dr. Ajay Shukla
  • जेवर एयरपोर्ट से गंगा एक्सप्रेसवे तक सुपरफास्ट कनेक्शन: 1,246 करोड़ की मेगा फंडिंग, यूपी को मिलेगी निवेश और रोजगार की नई उड़ान

    2025-12-23 Dr. Anil Tripathi
  • “सदन की गरिमा, संतुलन और संवैधानिक आत्मा के संरक्षक हैं विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना” : डॉ. राजेश्वर सिंह

    2025-12-23 Dr. Ajay Shukla
  • विधायक राजेश्वर सिंह का डिजिटल सशक्तिकरण अभियान : दो स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम की घोषणा

    2025-12-23 Dr. Ajay Shukla
  • मेरठ: हिंडन नदी में गिरी कार, हेड कांस्टेबल समेत दो लोगों की मौत

    2025-12-232025-12-23 Dr. Anil Tripathi

About Arya-TV

Arya-TV Address:

Natkur, P.O. Chandrawal Bijnaur Chauraha
Lucknow – 226002
Uttar Pradesh (INDIA).
Email : aryatvup@gmail.com
Editor Arya-TV: +91 9504760000

UP Zone

  • Agra Zone
  • Bareilly Zone
  • Gorakhpur Zone
  • Kanpur Zone
  • Meerut Zone
  • Prayagraj Zone
  • Varanasi Zone

Quick Links

  • International
  • National
  • Lucknow
  • Business
  • Fashion/ Entertainment
  • Technology
  • Education
  • Game
  • Health /Sanitation
Arya TV All right reserved © 2016-2023
  • Developed By IT FLAIR