भारत कौन-से कानूनों की मदद से कतर में मौत की सजा पाए पूर्व नौसैनिकों को बचा सकता है?

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(www.arya-tv.com)  कतर में भारत के आठ नागरिकों को मौत की सजा दी गई है. अब भारत सरकार एक साल से ज्‍यादा समय से हिरासत में रखे गए इन आठ भारतीय पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा के मामले में राहत दिलाने की कोशिश कर रही है. भारत सरकार के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि यह निचली अदालत का फैसला है. इसे संवैधानिक पीठ से पुष्टि की जरूरत है. बता दें कि अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी इन भारतीय नागरिकों को जासूसी के कथित मामले में 30 अगस्त 2022 को हिरासत में लिया गया था. हालांकि, कतर के अधिकारियों ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया था.

भारत सरकार के एक अधिकारी का कहना है कि मामले में ऊपरी अदालत में अपील की जाएगी. मुकदमे के दौरान सजा पाए सभी भारतीय नागरिकों के समर्थन में सबूत रखे जाएंगे. उम्मीद है कि मौत की सजा को कम कर दिया जाएगा. भारतीय विदेश मंत्रालय भी भारत के आठ नागरिकों को एकसाथ मौत की सजा सुनाने को लेकर हैरान है. लिहाजा, भारत सरकार भारत इन पूर्व नौसैनिकों को राहत लिाने के लिए सभी कानूनी विकल्‍पों पर विचार कर रही है. जानते हैं कि भारत सरकार कौन-से कानूनों की मदद से सभी पूर्व नौसैनिकों को बचा सकता है.

अपनाया जाएगा इटली मरींस केस वाला रुख?
तब अंतरराष्ट्रीय कानूनों, समुद्री क्षेत्र अधिनियम 1976, भारतीय दंड संहिता, और यूएनसीएलओएस 1982 के तहत कानूनी लड़ाई लड़ी गई थी. भारत सरकार कतर में यूएनसीएलओएस 1982 और दूसरे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सहारा ले सकता है. संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि यानी यूएनसीएलओएस साल 1982 में तय अंतरराष्ट्रीय संधि है. ये संधि दुनियाभर के समुद्रों और महासागरों के इस्‍तेमाल के लिए नियामक ढांचा उपलब्‍ध करती है. संधि में देशों की संप्रभुता, सामुद्रिक क्षेत्रों व अधिकारों का निर्धारण और देशों के नौसैनिक अधिकारों के प्रावधान हैं. अगर भारत इस संधि के भाग 15 का तर्क देता है तो ये मामला जर्मनी के इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ में जाएगा. इसमें एक विकल्प आपस में विवाद सुलझाने का भी है.

क्‍या था इटली के नौसैनिकों का मामला?
इटली के नौसैनिकों ने 2012 में केरल तट के पास दो भारतीय मछुआरों की हत्या कर दी थी. इस मामले को एनरिका लेक्सी नाम दिया गया था. मामले को यूएनसीएलओएस 1982 के तहत पहले घरेलू स्तर पर निपटाने की कोशिश की गई थी. फिर जब इटली मामले को इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर लॉ ऑफ द सी में ले गया तो ट्रिब्यूनल ने इटली के नौसैनिकों के खिलाफ चल रहे मामलों को खत्म करने का आदेश दे दिया था. इसके बाद मामला परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में गया तो उसने फैसले दिया था कि इटली के नौसैनिक एक राष्ट्र की ओर से काम कर रहे थे. लिहाजा, भारत इटली के दोनों नौसेना अधिकारियों के खिलाफ किसी प्रकार का आपराधिक मुकदमा नहीं चला सकता है.

कतर में क्‍या करते थे भारतीय पूर्व नौसैनिक?
कतर में भारतीय नौसैना में कैप्‍टन रहे नवतेज सिंह गिल, कैप्‍टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्‍टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागेश को मौत की सजा सुनाई गई है. सभी भारतीय कतर की अल दाहरा ग्लोबल कंपनी में काम कर रहे थे, जो कतर की सेना को प्रशिक्षण देती है. ये सभी कतर की अमीरी नौसेना बल में इतावली यू-212 स्टील्थ पनडुब्बियों को शामिल करने का मामला देख रहे थे. इन सभी को 30 अगस्त 2022 को भारत लौटने के दौरान हिरासत में ले लिया गया था. अगस्त 2023 में इन्‍हें 11 महीने के एकांत कारावास से बाहर निकाला गया. फिर 26 अक्‍टूबर को सभी को मौत की सजा सुना दी गई.

परिजनों ने बचाव में अपनाया ये विकल्‍प
कतर में भारत के पूर्व नौसैनिकों को बचाने के लिए भारत सरकार के साथ ही सजा पाए इन कर्मचारियों के परिजन भी कोशिश कर रहे हैं. इसके तहत परिजनों ने ‘कतर के अमीर’ शेख तमीम बिन हमद अल थानी के समक्ष दया याचिका दायर कर दी है. बता दें कि कतर के अमीर रमजान और ईद के दौरान क्षमादान देने के लिए पहचाने जाते हैं.