वाराणसी के चर्चित लालपुर पांडेयपुर गैंगरेप कांड की जांच के लिए गठित यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (SIT) की रिपोर्ट आ गई है. एसआईटी की रिपोर्ट में कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं. आपको बता दें कि इस मामले में कुल 23 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज था. अभियुक्तों के परिजनों द्वारा इस मामले में पीड़िता की तरफ से अपने बेटों को फसाने का आरोप लगाया गया था. पुलिस ने इस मामले में एसआईटी गठित की थी.
वहीं इस मामले अभियुक्त के अधिवक्ता एबीपी लाइव से बातचीत में कहा- “एसआईटी रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं लेकिन एसआईटी रिपोर्ट खानापूर्ति है. एसआईटी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के गाइडलाइन के मुताबिक पीड़िता के बयान को प्राथमिकता दी गई है. एसआईटी रिपोर्ट में पीड़िता द्वारा स्वतंत्रता से अपने घर से जाने का जिक्र है. रिपोर्ट में पुलिस प्रशासन को चार्ज शीट पेश करने का दिशा निर्देश.”
एसआईटी की रिपोर्ट में क्या?
लालपुर गैंगरेप कांड में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट 6 प्वाइंट्स में बताई है.
1. इस प्रकरण में पीड़िता की माता ने दिनांक 04 अप्रैल 2025 को थाना लालपुर पांडेयपुर में यह सूचना दी कि उनकी बेटी घर से दिनांक 29.03.2025 से कहीं चली गयी और अभी तक लौटकर नहीं आयी है. इस सूचना पर उसी समय थाने द्वारा तत्काल गुमशुदगी दर्ज की गई. पुलिस ने उसी दिन लड़की को उसी की सहेली के घर से बरामद भी कर लिया गया. शुरुआत में पीड़िता द्वारा अपने घर जाने से मना किया जा रहा था. परन्तु काफी समझाने के बाद पीड़िता को उसके परिजनों को नियमानुसार सुपुर्द किया गया.
2. इसके पश्चात् दिनांक 06.04.2025 की रात्रि को पीड़िता की माता पुनः थाने पर आई और यह बताया कि उनकी बेटी ने घर लौटने पर घर वालों को बताया कि उसके साथ अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा अलग-अलग जगह पर गुमशुदगी की अवधि में गलत काम किये गये थे. वादिनी मुकदमा की तहरीर पर थाना लालपुर पाण्डेयपुर, वाराणसी पर मु0अ0सं0-94/2025 धारा-70 (1), 74,123, 126(2), 127(2), 351(2) बीएनएस पंजीकृत कर त्वरित कार्यवाही करते हुए नामजद तथा प्रकाश में आये अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया. दिनांक 08.04.2025 को कुल 09 अभियुक्तों, एवं दिनांक 11.04.2025 को कुल 03 अभियुक्तों तथा दिनांक 15.04.2025 को कुल 02 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया. इस प्रकार कुल 14 अभियुक्तों को अभियोग पंजीकरण के 07 दिवस के अन्दर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया.
पीड़िता ने मेडिकल कराने से किया इनकार
3. अभियोग पंजीकृत होने के पश्चात् पीड़िता को तत्काल मेडिकल परीक्षण करवाने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल ले जाया गया, जहाँ पर पीड़िता द्वारा अपनी स्वेच्छा से बाह्य तथा आंतरिक मेडिकल परीक्षण कराने से मना किया गया, जिसका वर्णन महिला चिकित्सक के रिपोर्ट में अंकित है. पुलिस द्वारा पीड़िता एवं पीड़िता की माता को कानूनी पहलुओं के बारे में समझाने के पश्चात् पीड़िता मेडिकल परीक्षण करवाने के लिए तैयार हुई तथा उसका महिला चिकित्सक के समक्ष विधिवत मेडिकल परीक्षण कराया गया.
4. एस0आई0टी द्वारा जाँच के दौरान विभिन्न व्यक्तियों के मोबाइल नंबर के सीडीआर, गवाहों के बयान, सीसीटीवी फुटेज, पीड़िता के इन्स्टाग्राम आईपी लॉग, पीड़िता का बयान, अभियुक्तों और उनके परिजनों के बयान को संकलित कर सभी साक्ष्यों की जाँच की गयी.
गुमशुदगी के दौरान आरोपियों के साथ दिखी पीड़िता
5. जाँच से पाया गया कि गुमशुदगी की अवधि के दौरान पीड़िता स्वत्रंत रूप से तथा कुछ अभियुक्तों के साथ आती जाती पायी गयी. इसी बीच वह अपनी सहेलियों तथा कुछ दोस्तों के साथ जूडियो मॉल एवं चैसठ्ठी घाट जाते हुए दिखाई दी. घटना की अवधि के दौरान पीड़िता ने लगभग 11 भिन्न-भिन्न व्यक्तियों से उनका मोबाइल फोन मांग कर इन्स्टाग्राम का लॉगिन कर प्रयोग किया तथा कई लोगो को कॉल भी किया. जब पीड़िता से पूछा गया कि वह घर क्यों नहीं गई या किसी को घटना के बारे में क्यों नही बताया तो उसने कहा कि घर जाने से डर लगता था, डर और शर्म के कारण किसी को घटना के बारे में नही बताया.
6. जाँच के दौरान गुमशुदगी की अवधि में पीड़िता के साथ अलग-अलग जगहों पर भिन्न-भिन्न तिथियों में कई अभियुक्तों की मौजूदगी पायी गयी. ऐसे गम्भीर प्रकरणों में मा0 सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न महत्वपूर्ण निर्णय एवं दिशा निर्देश दिये गये हैं, जिसमें ऐसे प्रकरणों में पीड़िता के बयान को प्राथमिकता दी जाए. इस सन्दर्भ में पीड़िता के बयान तथा जाँच में पाये गये तथ्यों के अनुसार अभियुक्तों के द्वारा घटना कारित किये जाने से इन्कार नही किया जा सकता.
जांच में इन साक्ष्यों को बनाया गया आधार
इस प्रकार प्रश्नगत प्रकरण की जाँच के क्रम में संकलित किये गये बयान, मेडिकल प्रपत्र, सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर, आईपी लॉग व अन्य साक्ष्यों के अवलोकन के आधार पर एस0आई0टी0 इस निष्कर्ष पर आई कि घटना होने की सम्भावना को नाकारा नहीं जा सकता. इस क्रम में एसआईटी द्वारा विवेचक को निर्देशित किया गया कि उपरोक्त सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, एसआईटी द्वारा संकलित किये गये तकनीकी साक्ष्यों को सम्मिलित करते हुए, विवेचना का निष्पक्ष तरीके से शीघ्र निस्तारण करें.