(www.arya-tv.com) योग को लेकर कुवैत में मुस्लिम महिलाएं कट्टरपंथी सोच वाली सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई हैं। कुवैत में होने वाले पहले ओपन एयर फेस्टिवल ‘योगा रिट्रीट’ के आयोजन पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ महिलाओं ने संसद के सामने प्रदर्शन किया। दरअसल, यहां योग सिखाने वाली एक संस्था ने रेगिस्तान में ‘योगा रिट्रीट’ के आयोजन का विज्ञापन दिया था। विज्ञापन छपने के बाद कट्टरपंथी नेता भड़क गए। विवाद बढ़ता देख सरकार ने आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया।
फैसले को अपने अधिकारों के खिलाफ बताया
योग करने वाली महिलाओं ने सरकार के फैसले को अपने अधिकारों के खिलाफ बताया है। व्यक्तिगत आजादी का हवाला देते हुए महिला अधिकार कार्यकर्ता नजीब हयात ने कहा- ‘हमें अपनी आजादी को लेकर सर्द रात में प्रदर्शन करना पड़ रहा है। ये संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार प्रतिबंध नहीं हटा लेती।’ महिलाओं के प्रदर्शन से मामला बढ़ता जा रहा है। बात सिर्फ योग की न रहकर महिलाओं की हर तरह की आजादी की होने लगी है।
किसी खाड़ी देश में यह अपने आप में नया ट्रेंड
किसी खाड़ी देश में यह अपने आप में नया ट्रेंड है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं ने कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज उठाने के लिए योग का सहारा लिया है। वहीं दूसरी ओर, कुवैत के पक्ष-विपक्ष लगभग एक जैसी राय रखते हैं। विपक्षी सांसद हमदान अल आजमी ने खुले में योग करने को ‘सांस्कृतिक उपहास’ बताते हुए प्रतिबंध का समर्थन किया है। कुवैत में महिला अधिकारों के समर्थन में अभियान चलाने वाली एलानॉद अलशरेख ने बताया कि महिलाओं की आजादी को लेकर सउदी अरब भी धीरे-धीरे सजग हो रहा है।
पिछले तीन साल में वह महिलाओं की कई मांगों को पूरा कर चुका है, जबकि कुवैत अब भी पूरी तरह रूढ़िवादी और पुरुष प्रधान समाज के रूप में जाना जाता है। ऐसे में महिलाओं को खुद ही अपने हक के लिए आवाज उठानी पड़ेगी। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि योग बाहरी है, यह कुवैती समाज में कभी भी मान्य नहीं रहा है। इसलिए हमें खुले में योग करने पर बैन जारी रखना होगा।
सरकार खुद ही ऑनरकिलिंग को बढ़ावा दे रही है
कुवैती सरकार और प्रगतिशील सोच रखने वाली महिलाओं के बीच लंबे समय से संघर्ष चल रहा है। यहां अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध रखने के शक पर जान से भी मार देता है तो उसे ज्यादा से ज्यादा सिर्फ 3 साल की सजा होती है या सिर्फ 46 डॉलर (3,400 रु.) जुर्माना लगता है। ऐसे में महिला संगठनों का कहना है कि सरकार खुद ही ऑनरकिलिंग को बढ़ावा दे रही है। इसलिए आंदोलन जरूरी है। बदलते हुए समाज में ऐसे नियम खत्म करने होंगे।