(www.arya-tv.com) गौहर जान…ये नाम है उस महिला का है जिसे भारतीय संगीत का नक्शा बदलने के लिए जाना जाता है। ये पेशे से एक तवायफ थीं, लेकिन कमाल की गायिका थीं। इनकी गायकी की ऊंचाई का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि देश में जब सोना 20 रुपए तोला बिकता था, तब ये एक गाना गाने की फीस 3000 रुपए लेती थीं। उस दौर में ये इतनी बड़ी रकम थी कि ब्रिटिश हुकूमत ने इन्हें फीस कम करने की चेतावनी तक दे डाली, फिर भी ये अपनी शर्तों पर कायम रहीं।
तवायफ थीं, लेकिन रुतबा गजब का था। ऐसा कि महात्मा गांधी ने भी स्वतंत्रता आंदोलन में इनसे आर्थिक मदद मांगी थी। ये अपने जमाने की सबसे रईस तवायफ थीं। 1910 में करीब एक करोड़ की नेटवर्थ वाली गौहर जान को महफिलों में गाने के लिए प्राइवेट ट्रेन भी मुहैया कराई जाती थी। देश में जब दो-चार हजार रुपए में एक मिडिल क्लास परिवार में शादियां हो जाती थीं, उस जमाने में इन्होंने अपनी बिल्ली की शादी में 12 हजार खर्च किए और उसके बच्चों के लिए 20 हजार की शाही बग्घी खरीदी थी।
गौहर जान ने 20 भाषाओं में कोई 600 गाने रिकॉर्ड किए थे। हर गाने की रिकॉर्डिंग के समय इनके कपड़े और ज्वेलरी सब नए होते थे। एक बार पहने गहनों को दोबारा कभी नहीं पहना। सोने की 101 गिन्नियां लिए बिना गाना शुरू नहीं करती थीं
हर नामी गायक से ली ट्रेनिंग
गौहर जान का जन्म 26 जून 1873 को आजमगढ़ में हुआ। बर्फ की फैक्ट्री में काम करने वाले आर्मेनियन मूल के पिता विलियम रॉबर्ट और इंडियन मूल की मां विक्टोरिया हेमिंग ने इनका नाम एलीन एंजलीना रखा। महज 6 साल की एलीन के सामने मां-बाप के झगड़े बढ़े और दोनों ने तलाक ले लिया। इसके बाद मां विक्टोरिया ने मुस्लिम खुर्शीद से शादी कर इस्लाम कबूल कर लिया।
विक्टोरिया शादी के बाद 1883 में कोलकाता आ गईं, जहां उन्हें बड़ी मलका जान नाम से पहचान मिली। वहीं बेटी एलीन का नाम गौहर जान हो गया। मलका जान और उनकी बेटी गौहर ने गायकी और शास्त्रीय नृत्य की ट्रेनिंग ली। पटियाला के काले खां, अली बक्श, रामपुर के उस्ताद वजीर खान, कोलकाता के प्यारे साहिब और लखनऊ के ग्रेट महाराज बिंदादिन इनके गुरु रहे। 3 साल में ही मलका जान ने 24 चितपोर रोड (रबिंद्र सरणि) में 40 हजार रुपए में एक बिल्डिंग खरीद ली, जहां वो अपनी महफिल सजाया करती थीं।
पहली परफॉर्मेंस से जीत लिया था दरभंगा के राजा का दिल
14 साल की उम्र में गौहर जान का रंग प्रवेशम (पहली परफॉर्मेंस) हुआ। गाने के साथ डांस करते हुए गौहर जान कोलकाता की पहली डांसिंग गर्ल बनीं। अपनी परफॉर्मेंस से दरभंगा के महाराजा को इम्प्रेस कर ये उनकी सभा की गायिका बन गईं। ये खयाल, ध्रुपद और ठुमरी में ऐसी माहिर थीं कि इन्हें उस जमाने की सबसे महान खयाल सिंगर कहा जाने लगा था।
इन पर सोना-चांदी लुटाते थे राजा-महाराजा
महफिल में इनके गाने सुनने वाले राजा-महाराजा अपने कीमती जेवर नजराने में दे दिया करते थे। ये इतनी स्वाभिमानी थीं कि उस जमाने में कभी इन्होंने 1 हजार से कम नजराना नहीं लिया। नतीजन ये अपने जमाने की सबसे मशहूर और रईस गायिका थीं।
आम जनता नहीं सुन सकती थी इनके गाने
गौहर जान का रुतबा ऐसा था कि वो सिर्फ राजाओं की महफिल में गाया करती थीं, जहां राजघराने के लोग ही शामिल हुआ करते थे। आम जनता के लिए उनका गाना सुनना एक सपना था, क्योंकि न उन्हें राजाओं की महफिल में शामिल होने की इजाजत थी, न ही उनकी गौहर को हजार रुपए नजराना देने की हैसियत।
2 कमरों के अस्थायी स्टूडियो में हुई थी रिकॉर्डिंग
ग्रामोफोन कंपनी उस समय भारत में बिजनेस बढ़ाना चाहती थी। कंपनी ने पाया कि गौहर जान के गाने सुनने के लिए भीड़ उमड़ती है, लेकिन वो आम जनता के लिए नहीं थे। इसे ग्रामोफोन कंपनी ने अवसर में बदला और गौहर जान से गाने रिकॉर्ड करने की रिक्वेस्ट की। गौहर जान ने एक गाने के लिए 3 हजार रुपए फीस की डिमांड की।
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